एलोपैथिक साइंस के ख़िलाफ़ जंग छेड़ने वाले योग गुरू रामदेव की किताब को उत्तर प्रदेश के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में पढ़ाया जाएगा। इसके साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भी एक किताब को विवि ने दर्शनशास्त्र के अंडरग्रेजुएट पाठ्यक्रम में शामिल किया है। ऐसा उत्तर प्रदेश सरकार की सिफ़ारिश पर किया गया है।
अंग्रेजी अख़बार ‘द टेलीग्राफ़’ ने इस संबंध में ख़बर छापी है। इस विवि को राज्य सरकार द्वारा चलाया जाता है।
योग गुरू रामदेव की जिस किताब को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है, उसका नाम ‘योग चिकित्सा रहस्य’ है और यह बीमारियों से लड़ने में योग के महत्व को बताती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की किताब का नाम ‘हठयोग: स्वरूप एवं साधना’ है और यह भी योग पर आधारित है।
विवि की प्रो-वाइस चांसलर वाई. विमला ने ‘द टेलीग्राफ़’ को बताया, “हमने यह फ़ैसला अपने आप नहीं लिया है। हमें इस संबंध में राज्य सरकार की ओर से सिफ़ारिश मिली और उसके बाद ही हमने इसे दर्शनशास्त्र के अंडरग्रेजुएट पाठ्यक्रम में शामिल किया।”
विवि में कला विभाग के डीन ने अख़बार को बताया कि इन किताबों को वक़्त की ज़रूरत के हिसाब से पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। एक शिक्षक ने कहा कि बशीर बद्र, कुंवर बेचैन और दुष्यंत कुमार जैसे प्रगतिशील कवियों को किताबों को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है।
बीते साल दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले जब आम आदमी पार्टी (आप) ने अपना घोषणा पत्र जारी किया था तो उसने वादा किया था कि वह दिल्ली सरकार के स्कूलों में देशभक्ति पाठ्यक्रम को लाएगी। तब इसे लेकर काफी चर्चा हुई थी।
2017 में ‘द वायर’ ने एक ख़बर छापी थी जिसमें कहा गया था कि एनसीईआरटी कक्षा 12 की किताबों में से ‘गुजरात के मुसलिम विरोधी दंगों’ को सिर्फ़ ‘गुजरात दंगे’ लिखकर बदल दिया जाए।
बहरहाल, एलोपैथिक साइंस के ख़िलाफ़ दिए गए बयानों को लेकर डॉक्टर्स के विरोध का सामना कर रहे रामदेव की किताब को बीजेपी शासित राज्य के एक बड़े विश्वविद्यालय के अंडरग्रेजुएट पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है तो इसे लेकर बहस होनी स्वाभाविक है। रामदेव योग और आयुर्वेद का प्रचार करते हैं।
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