कोरोना संकट के चलते कई बार से टलती आ रही राम मंदिर निर्माण की तारीख तय कर दी गयी है। राम मंदिर निर्माण से जुड़े ट्रस्ट के पदाधिकारियों के मुताबिक़ औपचारिक शिलान्यास के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बुलाने की तैयारी है।
राम मंदिर निर्माण तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की शनिवार को हुई बैठक में औपचारिक शिलान्यास की तारीख पांच अगस्त तय की गयी है। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भी इसी के आसपास अयोध्या के सौंदर्यीकरण व विकास की कई परियोजनाओं पर काम शुरू करेगी।
इससे पहले अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए 2 जुलाई व इससे पहले की तारीखें तय की गयी थीं लेकिन कोरोना संकट के चलते इन्हें टालना पड़ा था। प्रधानमंत्री को 2 जुलाई के कार्यक्रम में बुलाने का भी फैसला हो चुका था। कोरोना संकट के ही चलते अयोध्या में कुछ दिनों के लिए राम मंदिर के लिए पत्थरों को तराशने का काम भी रोकना पड़ा था। बड़ी तादाद में पत्थर तराशने का काम कर रहे मजदूर भी वापस राजस्थान चले गए थे।
तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के तहत बनाए गए राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष प्रधानमंत्री के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा हैं।
ट्रस्ट की बैठक में तय हुई तारीख
तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक शनिवार दोपहर को अयोध्या सर्किट हाउस में हुई जिसमें 5 अगस्त को राम मंदिर के शिलान्यास का कार्यक्रम तय किया गया। अयोध्या सर्किट हाउस में नृपेन्द्र मिश्र की अध्यक्षता में हुई न्यास की महत्वपूर्ण बैठक में विहिप के कई पदाधिकारियों के साथ ट्रस्ट में शामिल किए गए सरकारी अधिकारी भी मौजूद रहे।
ट्रस्ट के महामंत्री चम्पत राय, राम जन्मभूमि ट्रस्ट के सुरक्षा सलाहकार और बीएसएफ़ के पूर्व डीजी के.के. शर्मा, आईजी डॉ. संजीव गुप्ता, कमिश्नर एमपी अग्रवाल, डीएम अनुज कुमार झा, एसएसपी आशीष तिवारी बैठक में मौजूद थे। बैठक में प्रधानमंत्री को बुलाने सहित पांच अगस्त को होने वाले अन्य कार्यक्रमों की रुपरेखा पर विचार किया गया।
ट्रस्ट अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास के उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास ने पहले ही बताया था कि ट्रस्ट सावन मास के दौरान ही राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन कराना चाहता है। नृपेंद्र मिश्रा 16 जुलाई से ही अयोध्या में हैं। उनके साथ के.के. शर्मा भी पहुंचे थे। साथ ही बड़े इंजीनियरों का एक दल भी अयोध्या में मौजूद है, जो मंदिर निर्माण की बारीकियों पर नजर बनाए हुए है।
इससे पहले भारत-चीन सीमा पर तनाव और कोरोना संकट के चलते इसी महीने दो जुलाई को अयोध्या में होने वाला राम मंदिर के भूमि पूजन का कार्यक्रम टल गया था। अप्रैल के महीने में भी राम मंदिर के लिए भूमि पूजन करवाने की तैयारी की गयी थी। दो जुलाई का कार्यक्रम टलने की जानकारी देते हुए ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा था कि देश की सुरक्षा हम सबके लिए सर्वोपरि है और अब दुबारा राम मंदिर के भूमि पूजन व निर्माण की तिथि देश-काल की परिस्थिति को देखकर घोषित की जाएगी।
काफी तैयारियां हो चुकी हैं पूरी
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर श्रीराम तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन किया गया है और 25 मार्च को श्रीरामलला को अस्थाई मंदिर में विराजित किया गया था। इस बीच मंदिर निर्माण के लिए पत्थरों की सफाई भी शुरू हो चुकी है। अब तक 67 एकड़ जमीन को समतल किया जा चुका है। समतलीकरण के दौरान ब्लैक टच स्टोन के सात खंभे, छह रेडसैंड स्टोन के खंभे, पांच फुट के नक्काशी नुमा शिवलिंग और मेहराब के पत्थर, देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियां, पुष्प कलश और नक्काशीदार खंभों के अवशेष मिले थे। पुरातत्वविद के.के. मोहम्मद ने इन अवशेषों को 8वीं शताब्दी का बताया था।
हालांकि मार्च के अंतिम सप्ताह से लेकर मई के दौरान राम मंदिर के लिए पत्थर तराशने का काम कोरोना के चलते बाधित हुआ और काफी मजदूर वापस लौट गए थे पर अब वे सब वापस आ चुके हैं और काम तेजी से चल रहा है।
अपनी राय बतायें