शायद उत्तर प्रदेश और दिल्ली की पुलिस ने एक रटे-रटाये वाक्य को आधार बना लिया है कि उन्होंने नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ हुए प्रदर्शनों के दौरान गोली नहीं चलाई है। उत्तर प्रदेश में इस क़ानून के विरोध में हुए प्रदर्शनों के दौरान 19 लोगों की मौत होने के बाद पुलिस ने गोली से मौत होने की बात को स्वीकार किया लेकिन वह भी सिर्फ़ 1 शख़्स की। इस क़ानून के विरोध में हुए प्रदर्शनों के दौरान मेरठ और फिरोज़ाबाद सबसे ज़्यादा प्रभावित रहे हैं। दोनों ही जिलों में 6-6 लोगों की मौत हुई है।