कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा को सामाजिक कार्यकर्ता एस.आर. दारापुरी से मिलने के लिए जाने से रोकने को लेकर यूपी में सियासत तेज हो गई है। प्रियंका ने कहा है कि शनिवार शाम को जब वह दारापुरी से मिलने जा रही थीं तो पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की और एक महिला अधिकारी ने उनका गला पकड़ कर खींचा। इसके बाद कांग्रेस यूपी पुलिस और योगी आदित्यनाथ सरकार पर हमलावर हो गई। लेकिन बीजेपी ने प्रियंका के आरोपों पर पलटवार किया और इसे नौटंकी बताया है।
प्रियंका ने फ़ेसबुक पोस्ट में कहा, ‘उप्र पुलिस की यह क्या हरकत है। अब हम लोगों को कहीं भी आने-जाने से रोका जा रहा है। मैं रिटायर्ड पुलिस अधिकारी और अंबेडकरवादी सामाजिक कार्यकर्ता एस.आर. दारापुरी के घर जा रही थी। उप्र पुलिस ने उन्हें एनआरसी और नागरिकता क़ानून का शांतिपूर्वक विरोध करने पर घर से उठा लिया है। मुझे बलपूर्वक रोका और एक महिला अधिकारी ने मेरा गला पकड़ कर खींचा। मगर मेरा निश्चय अटल है। मैं उत्तर प्रदेश में पुलिस दमन का शिकार हुए हरेक नागरिक के साथ खड़ी हूं। मेरा सत्याग्रह है।’
प्रियंका ने आगे कहा कि बीजेपी सरकार कायरों वाली हरकत कर रही है। उन्होंने कहा कि वह उत्तर प्रदेश की प्रभारी हैं और उत्तर प्रदेश में कहां जाएंगी, यह बीजेपी सरकार तय नहीं करेगी। इस दौरान प्रियंका गाँधी का लखनऊ की सड़कों पर स्कूटी पर जाते हुए एक वीडियो भी सामने आया। पुलिस के रोकने के बाद भी वह दारापुरी के परिजनों से मिलीं और उनका हालचाल जाना।
योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने प्रियंका के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि प्रियंका वाड्रा का पूरा परिवार ही झूठ पर चलता है। सिंह ने ट्वीट किया, ‘थूकने और भागने की थ्योरी से आपको कुछ समय के लिए लोकप्रियता मिल सकती है लेकिन इससे आपको वोट नहीं मिलते। प्रियंका की इस नौटंकी की निंदा की जानी चाहिए।’
#PriyankaVadralies the family thrives on lies only, theory of spit and run will give you temporary publicity but not votes. Nautanki of #PriyankaVadra should b condemned
— Sidharth Nath Singh (@SidharthNSingh) December 28, 2019
इस मामले में सियासत तेज़ होने के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस की क्षेत्राधिकारी डॉ. अर्चना सिंह ने कहा कि प्रियंका गाँधी कांग्रेस के मॉल एवेन्यू स्थित प्रदेश कार्यालय से 23/2 कौल हाउस गोखले मार्ग के लिए निकलीं लेकिन वह इस रास्ते से न होकर लोहिया पथ के लिए जाने लगीं, इस पर उनके काफिले को रोकना पड़ा।
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