नेहा सिंह राठौर, लोकगायिकी
में उभरता हुआ नाम, पिछले दिनों अपने गाए गानों की वजह से काफी चर्चा में
रही हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के समय गाया उनका एक गीत ‘यूपी में का बा’
काफी चर्चित हुआ था। इस गीत में उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार की आलोचना की थी।
नेहा ने हाल ही में ऐसा
ही एक गीत कानपुर में पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ आग लगाकर जान देने वाली मां-बेटी
की मौत पर भी एक गाना गाया था। इस गाने में उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार की बुल्डोजर नीति पर सवाल उठाए थे।
उत्तर प्रदेश की बुल्डोजर नीति पर उन्होंने सीधे-सीधे मुख्यमंत्री को संबोधित करते
हुए सवाल पूछा था। इस गाने पर अब उत्तर
प्रदेश पुलिस ने उन्हें एक नोटिस जारी कर तीन दिन में जवाब देने को कहा है। नेहा
राठौर को यह नोटिस उसी कानपुर देहात की पुलिस द्वारा दिया गया है, जिसपर आरोप है
कि उसने आग में जल रही मां बेटी को बचाने के लिए कुछ नहीं किया बल्कि घर को गिराने
में लगी रही।
पुलिस की तरफ से नेहा से
जो सवाल पूछे गये हैं वे काफी हैरान करने वाले हैं। इसमें इस गाने के लेखक और गायक
को इसके अधिकार बताने को कहा गया है। इसे समाज वैमनस्य फैलाने का भी आरोप लगाया
गया।
नेहा सिंह उत्तर प्रदेश
में ‘का बा’ से लेकर, बिहार में का बा तक गा चुकी हैं। ‘का बा’ गानों की शुरुआत
फिल्म अभिनेता मनोज वाजपेई के एक रैप सॉन्ग से हुई थी। मनोज ने अपने गाने में मुंबई
में रहने वाले यूपी बिहार के प्रवासी मजदूरी की व्यवस्था को उजागर किया था, उसके
बाद से ‘का बा’ गानों की शुरुआत हो गई, जिसे नेहा ने अपने चरम पर पहुंचा दिया।
इस समय सरकारें जिस तरह तरह हर छोटी-छोटी बातों पर कार्रवाई कर रही हैं। कलाकारों
को निशाना बनाया जा रहा है, वह खतरनाक ही नहीं अभूतपूर्व भी है। इससे पहले शायद ही
कभी ऐसा हुआ हो कि सरकारों ने कलाकारों पर इस तरह की कार्रवाइयां की हों।
ऐसा भी नहीं है कि सरकारें केवल कलाकारों को निशाने पर ही रख रही हों, कुछ लोग
हैं जिन्हें सरकारी प्रश्रय भी मिला हुआ है। सरकारें इनको अपने पाले में लाने के
लिए हर मुमकिन कोशिश कर रही हैं। ऐसे लोगों की कमी भी नहीं है जिनमें सरकारों के
पक्ष में खड़ा दिखने की होड़ न मची हो।
लोक गायिका मालिनी अवस्थी इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जिन्हें सरकारी सरंक्षण का
खूब लाभ मिला। इससे इतर अनामिका जैन अंबर जैसे लोग भी हैं। नेहा के ‘यूपी में का बा’ वाले गाने के बाद अनामिका ने ‘यूपी में ई बा.. यूपी में बाबा बा’ जैसे गाने गाकर सरकार के
नजदीक आने की कोशिश की।
नेहा के लोकगायन खासियत यह है कि वे उस भोजपुरी भाषा में गाने लिख और गा रही
हैं जिस पर अश्लीलता फैलाने के आरोप समय समय पर लगते रहे हैं। जिसके बारे में कहा
जा रहा है कि भोजपुरी गाने अश्लीलता फैलाकर पैसा बनाने में लगे हुए हैं। लोग
भिखारी ठाकुर को याद कर रहे हैं जो भोजपुरी लोककला के बड़े कलाकारों में से एक हैं
लेकिन अपनी कला को प्रसिद्धि दिलाने के लिए उन्होंने कभी अश्लीलता को सहारा नहीं
बनाया।
ऐसे में नेहा सिंह राठौर को चुप कराने की कोशिशें केवल लोककला को ही नहीं बल्कि
भाषाई शुद्धता पर भी प्रहार है जो मानती है। ऐसे में सरकारों की इस तरह की कार्रवाइयां
आने वाले कलाकारों को हतोत्साहित ही करेंगी, या फिर कलाकारों को पाले चुनने पर मजबूर
करेंगी।
नेहा सिंह पर पुलिस के नोटिस के जवाब में अखिलेश यादव ने सरकार पर निशाना साधा
है। अखिलेश ने एक ट्विट करते हुए नेहा के अंदाज में एक कविता पोस्ट की जिसमें बताया
गया कि यूपी में का बा।
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