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फ़ोटो क्रेडिट- @ravinderjaint

‘ऑपरेशन लंगड़ा’ का प्रचार कर रही बीजेपी, क्या अपराध मुक्त हो गया यूपी?

उत्तर प्रदेश में सरकार चला रही बीजेपी ‘ऑपरेशन लंगड़ा’ का प्रचार कर रही है। इसके प्रचार के लिए बीजेपी के उत्तर प्रदेश के ऑफ़िशियल ट्विटर हैंडल से वीडियो जारी किया है। वीडियो में दो अपराधी हैं, जिनके पांव में गोली लगी है, वे लंगड़ाते हुए और रोते हुए पुलिस अफ़सरों से कहते हैं कि ग़लती हो गई और अब से हम कभी नोएडा में नहीं आएंगे। 

वीडियो का प्रमोशन यह लिखकर किया गया है कि देखिए, कैसे उत्तर प्रदेश में बदमाश जान की भीख मांग रहे हैं और यह भी लिखा है कि ये है नया उत्तर प्रदेश। वीडियो इस लाइन के साथ ख़त्म होता है-  योगी हैं तो मुमकिन है। 

दावा ग़लत

समझना मुश्किल नहीं कि उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस यह बताना चाहती है कि यहां की पुलिस अपराधियों के साथ कैसा सलूक करती है। लेकिन बिकरू कांड जिसमें 8 पुलिस कर्मियों को एक कुख़्यात बदमाश विकास दुबे ने शहीद कर दिया, कई जगहों पर खाकी पर हुए हमले, हत्या, बलात्कार, चोरी की हर रोज होती वारदात इस दावे को ग़लत साबित करती हैं कि उत्तर प्रदेश में बदमाश अपनी जान की भीख मांग रहे हैं। 

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8,472 एनकाउंटर

‘ऑपरेशन लंगड़ा’ के तहत मार्च, 2017 यानी जब से बीजेपी की सरकार सत्ता में आई है, तब से अब तक उत्तर प्रदेश पुलिस 8,472 एनकाउंटर में कम से कम 3,302 अपराधियों को गोली मारकर घायल कर चुकी है। इनमें से कई अपराधी ऐसे हैं, जिनके पांव में गोली लगी है और उसके बाद वे लंगड़ाते हुए आते हैं और पुलिस के सामने कहते हैं कि वे अब से उत्तर प्रदेश में अपराध नहीं करेंगे। 

पुलिस इसके वीडियो बनाती है और ये ख़ूब वायरल होते हैं। इन एनकाउंटर्स में अब तक 146 अपराधियों की मौत हुई है। 

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, पुलिस अफ़सर इस बात से इनकार करते हैं कि एनकाउंटर्स के दौरान उनकी किसी अपराधी को विकलांग बनाने की कोई रणनीति होती है। पुलिस का कहना है कि वह इस बात का भी रिकॉर्ड नहीं रखती कि एनकाउंटर्स में पांव में गोली लगने के बाद कितने लोग विकलांग हो गए। 

हालांकि पुलिस यह ज़रूर कहती है कि अब तक हुए एनकाउंटर्स में 13 पुलिसकर्मियों की हत्या हो चुकी है और 1,157 से ज़्यादा घायल हुए हैं। इस दौरान 18,225 अपराधियों की गिरफ़्तारी भी हुई है। 

उत्तर प्रदेश पुलिस का मेरठ ज़ोन इन एनकाउंटर्स में सबसे आगे रहा है। यहां 2,839 एनकाउंटर हुए हैं। इसके बाद आगरा का नंबर है, जहां 1,884 एनकाउंटर हुए हैं। इसके बाद बरेली में 1,173 एनकाउंटर हुए हैं। 

एडीजी (क़ानून और व्यवस्था) प्रशांत कुमार कहते हैं कि पुलिस एनकाउंटर्स में इतने अपराधियों के घायल होने के पीछे वजह यह है कि पुलिस का पहला उद्देश्य अपराधी को मौत के घाट उतारना नहीं होता बल्कि उन्हें गिरफ़्तार करना होता है। 

कुमार कहते हैं कि अगर कोई ग़ैर क़ानूनी काम करता है तो पुलिस इसके जवाब में कार्रवाई करती है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का इस बारे में स्पष्ट दिशा-निर्देश है कि एनकाउंटर के दौरान क्या करना है और इनकी मजिस्ट्रीयल जांच भी होती है। 

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सवालों के घेरे में एनकाउंटर 

उत्तर प्रदेश में विपक्षी दल इन एनकाउंटर्स को लेकर योगी सरकार पर यह कहकर हमला बोलते हैं कि इस सरकार की पॉलिसी ठोक दो वाली है। 

लेकिन योगी सरकार और बीजेपी के नेता इन एनकाउंटर्स का इस तरह प्रचार करते हैं कि ये सरकार की एक उपलब्धि है। जैसे विकास दुबे के मामले में जब गाड़ी पलटने और उसके मुठभेड़ में मारे जाने की बात कही गई तो कई अपराधियों को जब पुलिस लेकर आ रही होती है, तो यही कहा जाता है कि कहीं गाड़ी तो नहीं पलट जाएगी। 

विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक टिप्पणी में कहा था, “वे सभी पुलिसकर्मी आगाह हो जाएं जो यह सोचते हैं कि वे लोगों को 'एनकाउंटर' के नाम पर मार सकते हैं और बच सच सकते हैं- फांसी का फंदा उनका इंतज़ार कर रहा है।” 

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क़मर वहीद नक़वी
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