संजय निषाद की राजनीति
बहुत लंबे समय से निषाद आरक्षण का मामला लटका हुआ है। अखिलेश यादव ने अपने पिछले कार्यकाल में केंद्र सरकार को निषाद, मझवार समेत कई छोटी जातियों के एससी आरक्षण के लिए केंद्र को पत्र लिखा था।
संजय निषाद ने कहा कि उन्हें विधानसभा चुनाव से पहले आरक्षण का मुद्दा सुलझने की उम्मीद है।
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गठबंधन पर आ सकती है आंच
निषाद पार्टी के दोनों हाथों में लड्डू है। वह अपने बयानों से बीजेपी आला कमान को चौंकाते रहते हैं और उलझाने वाला बयान देकर कुछ ही देर में वापस भी ले लेते हैं।
फोन टैपिंग को लेकर उन्होंने तीखा बयान दिया और कहा कि चुनाव के मौके पर विपक्षी नेताओं की टैपिंग सही नहीं है। लेकिन कुछ ही देर बाद उन्होंने यह बयान वापस ले लिया।
इसी तरह उन्होंने आरक्षण के मुद्दे पर बीजेपी को धमकी दी लेकिन फिर बयान वापस ले लिया है।
मंगलवार को उनका बयान सोची समझी रणनीति का हिस्सा है।
इस तरह संजय निषाद अपने विवादास्पद बयान से राजनीतिक संकेत देते रहते हैं।
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मंगलवार को 24 सीटें की मांग करने के साथ ही संजय निषाद ने यह भी कहा कि 17 दिसम्बर की रैली में वह नहीं होना चाहिए था जो हुआ। यानी अमित शाह को आरक्षण के संबंध में कुछ घोषणा करना चाहिए था।
निषाद ने कहा कि अमित शाह से आश्वासन न मिलने पर हमारे कार्यकर्ता और समर्थक नाराज हो गए।
संजय निषाद के बयान पर बीजेपी ने फौरन कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। लेकिन उसे कुछ न कुछ स्थिति साफ करना ही पड़ेगी।
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