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मुजफ्फरनगरः 'थप्पड़' वाले बच्चे के परिवार पर अब समझौते का दबाव

खुब्बापुर गांव में जिस मुस्लिम परिवार के बच्चे को स्कूल में थप्पड़ लगवाए गए, अब गांव के लोग और किसान नेता नरेश टिकैत उस परिवार पर समझौते का दबाव बना रहे हैं। परिवार को कहा जा रहा है कि वो टीचर तृप्ता त्यागी के खिलाफ मामले को नहीं बढ़ाए। परिवार अब बेहद डरा हुआ है और बच्चे के भविष्य को लेकर चिंतित है। 

पुलिस ने हालांकि इस मामले में एफआईआर दर्ज कर ली है। लेकिन धाराएं मामूली लगाई हैं। शुक्रवार को एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें पुलिस के मुताबिक टीचर तृप्ता त्यागी (60) बच्चों को अपने मुस्लिम सहपाठी को "जोर से" मारने के लिए कह रही थी। टीचर ने बीच में अन्य मुस्लिम बच्चों का भी जिक्र किया। टीचर ने पुलिस को पहले बताया था कि मुस्लिम माताएं अपने बच्चों को घर पर ठीक से नहीं पढ़ाती हैं। फिर उन्होंने पुलिस को बताया कि उसे पांच का पहाड़ा नहीं आता था। टीचर तृप्ता त्यागी ने अपने बचाव में यह भी कहा था कि वो विकलांग हैं, इसलिए उन्होंने उस बच्चे को सजा देने के लिए अन्य बच्चों का सहारा लिया। एक मामूली घटना को मुद्दा बनाया जा रहा है।  
पुलिस ने इस मामले में जो धारा लगाई हैं वो आईपीसी की धारा 323 (चोट पहुंचाना) और 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के राष्ट्रीय प्रवक्ता साकेत गोखले ने शनिवार को कहा था कि ये हल्की धाराएं हैं। उन्होंने ट्विटर पर लिखा था- मुझे बताया गया है कि मुजफ्फरनगर पुलिस ने शिक्षिका तृप्ता त्यागी के अपराध का संज्ञान लिया है। लेकिन रुकिए - उनका दावा है कि उन्होंने "एफआईआर" दर्ज की है। दोनों धाराएं "गैर-संज्ञेय" हैं। यह "शरारत" है। क्या एक शिक्षक द्वारा छात्रों को साथी मुस्लिम बच्चे पर हमला करने के लिए प्रोत्साहित करना महज एक "शरारत" है? आप इस मुद्दे को क्यों दबा रहे हैं और शिक्षक की रक्षा क्यों कर रहे हैं? क्या टीचर का भाजपा से संबंध है?

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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक शनिवार को, लड़के के पिता ने खुद को अपने घर पर राजनीतिक दलों के नेताओं, गांव के नेताओं, मीडिया और दर्जनों स्थानीय लोगों से घिरा हुआ पाया। जबकि आरएलडी और भीम आर्मी परिवार का समर्थन करने के लिए आगे आए। ग्राम प्रधानों का एक समूह चाहता था कि मुस्लिम बच्चे का पिता अपनी शिकायत वापस ले लें। पुरा गाँव के प्रधान नरेंद्र त्यागी ने उनसे कहा, “अब यह नाटक बंद करो। हम इस गांव में मीडिया नहीं चाहते। मैं चाहता हूं कि आप पुलिस स्टेशन जाएं और उन्हें बताएं कि आपको एफआईआर की जरूरत नहीं है। इसे ख़त्म करवाओ...नहीं तो तुम्हें परिणाम भुगतना पड़ेगा।''
किसान नेता नरेश टिकैत ने गांव में एक कथित "शांति बैठक" बुलाई और पिता से "समझौता करने" और एफआईआर को समाप्त कराने के लिए कहा। ये वही नरेश टिकैत है जो कभी महिला पहलवानों को न्याय दिलाने के लिए अचानक हरिद्वार में प्रकट हुए थे और पहलवानों को मेडल गंगा में प्रवाहित करने से रोक दिया था। इसके बाद पहलवानों का मामला आश्चर्यजनक ढंग से ठंडा पड़ता गया।
किसान नेता नरेश टिकैत का यह मीडिया के सामने बयान सुनिए-
खुब्बापुर गांव में टारगेट पर आए बच्चे के पिता ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा- मैं अब टीचर के खिलाफ कार्रवाई नहीं चाहता हूं। सभी का ध्यान हमारे ऊपर है। मैं और मेरा परिवार यहां अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। मैं एक खेतिहर मजदूर हूं। मैं नहीं चाहता कि तृप्ता मैडम को गिरफ्तार किया जाए या दंडित किया जाए। मेरा बेटा और उसका चचेरा भाई वर्षों से वहां पढ़ रहे हैं। हम उनसे केवल माफी और स्पष्टीकरण चाहते थे। यह मेरा भतीजा था जिसने वीडियो शूट किया और गुरुवार को मुझे दिखाया। मैं यह देखकर स्तब्ध रह गया कि मेरे लड़के को उसकी पहचान को लेकर पीटा जा रहा था। उसे अपमानित किया गया क्योंकि उसने अपना होमवर्क नहीं किया था। हमने गांव में कभी इस तरह के मुद्दे का सामना नहीं किया है, लेकिन अब हर कोई इसके बारे में बात कर रहा है।

लड़के के पिता ने कहा कि मैं अब उस स्कूल में अपने बच्चे को नहीं भेजूंगा। वीडियो देखने के बाद मेरी पत्नी भी डर गई है। देखते हैं कि बच्चे को स्कूल भेजने के बारे में और क्या किया जा सकता है।
वीडियो रिकॉर्ड करने वाले लड़के के चाचा ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान आरोप लगाया कि टीचर ने उनके भतीजे और एक अन्य मुस्लिम लड़के को कम से कम एक घंटे तक पीटा। मैं महीनों से उस स्कूल को बनवाने में तृप्ता मैडम की मदद कर रहा हूं। मेरे पास एक जेसीबी है और मैं मजदूर भी लाया हूं। गुरुवार को, मैं किसी काम के बारे में उनसे बात करने गया और देखा कि वह एक लड़के को 'मोहम्मडन' कहकर पीट रही थी। इसके बाद, उन्होंने मेरे भतीजे को बुलाया, तो मैंने वीडियो रिकॉर्ड करने का फैसला किया। मैं यह देखकर हैरान रह गया कि वह अपने हर छात्र को उसे पीटने के लिए बुला रही थी। थप्पड़ और कमर पर मारने से वह रो रहा था। मैंने वीडियो बनाकर एक स्थानीय रिपोर्टर को भेजा।

एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि तृप्ता को अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया है क्योंकि एफआईआर में धाराएं जमानती हैं। उन्होंने कहा कि फोरेंसिक टीमें वीडियो का विश्लेषण करेंगी और उसके अनुसार आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

नेहा पब्लिक स्कूल, जिसकी मालिक तृप्ता त्यागी हैं, गाँव का एकमात्र निजी स्कूल है। यह यूपी राज्य बोर्ड के साथ रजिस्टर्ड है और 2019 में मान्यता प्राप्त हुई। फिलहाल, स्कूल में निर्माण कार्य चल रहा है, और तृप्ता अपने घर पर छात्रों को पढ़ा रही है। यह घटना गुरुवार को हुई थी। स्कूल में 50-60 छात्र हैं, जिनमें से लगभग आधे मुस्लिम हैं। कई परिवारों ने कहा कि वे अपने बच्चों को दिए जाने वाले शारीरिक दंड के बारे में जानते हैं।

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आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, जिस गांव में यह घटना हुई, वहां 350 से अधिक परिवार हैं और केवल दो स्कूल हैं - एक सरकार द्वारा संचालित और दूसरा तृप्ता त्यागी का नेहा पब्लिक स्कूल। जिले में अन्य स्कूल भी हैं, लेकिन वे गांव से 10-15 किमी दूर स्थित हैं और अपेक्षाकृत अधिक महंगे हैं। इसलिए मुस्लिम परिवार अपने बच्चों को वहां नहीं भेज पाते। उन्हें मजबूरी में नेहा पब्लिक स्कूल में भेजना पड़ता है। अन्य मुस्लिम परिवार को भी स्कूल में उनके बच्चों से हो रहे भेदभाव की जानकारी है लेकिन वे चुप हैं, क्योंकि उनके पास कोई और उपाय नहीं है।

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क़मर वहीद नक़वी
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