बनारस हिंदू विश्वविद्यालय यानी बीएचयू फिर विवादों में है। इस बार विवाद है बीएचयू के संस्कृत फ़ैकल्टी में एक मुसलिम फ़िरोज़ के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर नियुक्त किए जाने का। कुछ छात्र उनके मुसलिम होने के कारण विरोध कर रहे हैं और उनको हटाए जाने की माँग कर रहे हैं। पिछले हफ़्ते ही कुछ छात्रों ने विश्वविद्यालय परिसर में कुलपति के आवास के बाहर प्रदर्शन किया। ऐसे में सवाल है कि क्या संस्कृत भाषा किसी ख़ास मज़हब या जाति का व्यक्ति ही पढ़ा सकता है? क्या उन्हें फ़िरोज़ की योग्यता से जुड़ी कोई आपत्ति है?