बनारस हिंदू विश्वविद्यालय यानी बीएचयू फिर विवादों में है। इस बार विवाद है बीएचयू के संस्कृत फ़ैकल्टी में एक मुसलिम फ़िरोज़ के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर नियुक्त किए जाने का। कुछ छात्र उनके मुसलिम होने के कारण विरोध कर रहे हैं और उनको हटाए जाने की माँग कर रहे हैं। पिछले हफ़्ते ही कुछ छात्रों ने विश्वविद्यालय परिसर में कुलपति के आवास के बाहर प्रदर्शन किया। ऐसे में सवाल है कि क्या संस्कृत भाषा किसी ख़ास मज़हब या जाति का व्यक्ति ही पढ़ा सकता है? क्या उन्हें फ़िरोज़ की योग्यता से जुड़ी कोई आपत्ति है?
बीएचयू में विवाद: मुसलमान हैं तो संस्कृत नहीं पढ़ा सकते?
- उत्तर प्रदेश
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- 29 Mar, 2025
बीएचयू के संस्कृत फ़ैकल्टी में एक मुसलिम के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर नियुक्त किए जाने का विरोध क्यों? क्या संस्कृत भाषा किसी ख़ास मज़हब या जाति का व्यक्ति ही पढ़ा सकता है?

फ़िरोज़ से ऐसी कोई आपत्ति कैसे हो सकती है जब बीएचयू प्रशासन ने साफ़ कर दिया है कि वह नियमों के तहत चुने गए हैं। यही नहीं, फ़िरोज़ राजस्थान में संस्कृत युवा प्रतिभा सम्मान से सम्मानित हैं। तीन साल तक संस्कृत के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर रहे हैं। दूसरी कक्षा से संस्कृत स्कूल में पढ़ते रहे। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, फ़िरोज़ कहते हैं कि जब शास्त्री यानी स्नातक की पढ़ाई कर रहे थे तब वह उस कैंपस में एकमात्र मुसलिम छात्र थे, लेकिन उनके मुसलिम होने पर आपत्ति किसी ने नहीं की थी।