अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के प्रमुख महंत नरेंद्र गिरि की मौत मामले में एक नाटकीय मोड़ आया है। उनका लिखा एक कथित सुसाइड नोट सामने आया है। इस नोट से यह सवाल खड़ा होता है कि क्या महंत गिरि ने आत्महत्या इसलिये की कि उन्हें किसी महिला की वजह से ब्लैकमेल किया जा रहा था? क्या उनके शिष्य आनंद गिरि ही उन्हें ब्लैकमेल कर रहे थे?
महंत ने अपने कथित सुसाइड नोट में ख़ुद यह रहस्योद्घाटन किया है।
उन्होंने इस कथित सुसाइड नोट में कहा है, ‘आज हरिद्वार से सूचना मिली कि आनंद गिरि एक-दो दिन में कंप्यूटर के माध्यम से मोबाइल से किसी लड़की या महिला से ग़लत काम करते हुए मेरी फ़ोटो लगा कर फ़ोटो वायरल कर देगा।’
उन्होंने इसके आगे लिखा, ‘मैंने सोच सफ़ाई दूंगा, एक बार तो बदनाम हो जाऊंगा। मैं जिस पद पर हूँ, वह पद गरिमामयी है। सच्चाई तो लोगों को बाद में पता चल जाएगा, पर मैं तो बदनाम हो जाऊंगा।’
महंत ने इसके बाद लिखा है, ‘इसलिए मैं आत्महत्या करने जा रहा हूं, जिसकी ज़िम्मेदारी आनंद गिरि, अद्या प्रसाद तिवारी और उनके लड़के संदीप तिवारी पर है।’
महंत ने इसी सुसाइड नोट में लिखा है, ‘आनंद गिरि का कहना है महाराज यानी मैं कब तक सफाई देते रहेंगे। मैं जिस सम्मान से जी रहा हूं, अगर मेरी बदनामी हो गई तो मैं समाज में कैसे रहूंगा। इससे अच्छा मर जाना ही है।’
महंत नरेंद्र गिरि ने इसी सुसाइड नोट में लिखा है कि वे यह नोट पूरे होशो हवाश में और बग़ैर किसी दवाब के लिख रहे हैं। इसी में वह यह भी कहते हैं कि वह मानसिक दवाब में हैं और जब भी एकांत में होते हैं, उन्हें मर जाने की इच्छा होती है।
वह इसी नोट में कहते हैं, ‘आनंद गिरि, अद्या प्रसाद तिवारी और संदीप तिवारी ने उनके साथ विश्वासघात किया है और उन्हें जान से मारने की कोशिश की है।’
महंत अपने ऊपर चरित्र हनन के प्रयास की चर्चा बार-बार करते हैं, हर बार इसके लिए इन तीनों को ही ज़िम्मेदार मानते हैं।
वह इस कथित सुसाइड नोट में लिखते हैं,
“
सोशल मीडिया, फ़ेसबुक व समाचार माध्यमों में आनंद गिरि ने मेरे चरित्र के ऊपर मनगढ़ंत आरोप लगाया। मैं मरने जा रहा हूँ, सत्य बोलूंगा।
महंत नरेंद्र गिरि के कथित सुसाइड नोट का एक अंश
उन्होंने इस कथित सुसाइड नोट में लिखा कि नींबू के पेड़ के नीचे उनकी समाधि बनाई जाए। वह इसे अपनी अंतिम इच्छा बताते हैं।
महंत नरेंद्र गिरि ने यह भी लिखा है कि उनके ब्रह्मलीन होने के बाद बड़े हनुमान मंदिर और मठ बाघंबरी गद्दी के महंत बलवीर गिरि को बनाया जाए।
महंत ने लिखा है कि उनके बाद उनकी सेवा में लगे विद्यार्थियों का ख्याल रखा जाए, वह विस्तार से सबके नाम भी बताते हैं। वह कहते हैं कि जिन लोगों के नाम उन्होंने नहीं लिए हैं, उनका भी ख्याल रखा जाए।
वह सबसे कहते हैं कि वे सभी बलवीर गिरि के साथ वैसा ही सहयोग करें जैसा उनके साथ करते आए हैं। वह यह निर्देश भी देते हैं कि जिस तरह उन्होंने मठ चलाया है, वैसा ही उनके बाद बलवीर गिरि भी चलाएँ।
महंत नरेंद्र गिरि ने इस कथित सुसाइड नोट में लिखा है, ‘प्रयागराज के सभी पुलिस अधिकारियों व प्रशासनिक अधिकारियों से अनुरोध करता हूँ, मेरी आत्महत्या के ज़िम्मेदार उपरोक्त लोगों पर क़ानूनी कार्रवाई की जाए, जिससे मेरी आत्मा को शांति मिले।’
उन्होंने यह यह भी लिखा कि उन्होंने आत्महत्या करने की कोशिश पहले भी की, पर उन्हें हिम्मत नहीं हुई। इस बार वह पूरी हिम्मत के साथ आत्महत्या कर रहे हैं।
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