सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लखीमपुर खीरी हिंसा मामले का आरोपी और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी का बेटा आशीष मिश्रा अगर उत्तर प्रदेश में राजनीतिक कार्यक्रमों में शामिल हो रहा है, तो यह उसकी जमानत शर्तों का उल्लंघन है।
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25 जनवरी, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा को अंतरिम जमानत देते हुए शर्तें भी बताई थीं। आशीष मिश्रा को जेल से रिहा होने के एक सप्ताह के भीतर उत्तर प्रदेश छोड़ना होगा। अंतरिम जमानत के दौरान आशीष मिश्रा उत्तर प्रदेश या दिल्ली में नहीं रह सकता है।
लाइव लॉ के मुताबिक जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने कहा, "अगर वह (आशीष मिश्रा) शारीरिक रूप से भाग ले रहा है तो यह निश्चित रूप से उल्लंघन है।" दरअसल, पीड़ितों में से एक के वकील प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि आशीष राजनीतिक कार्यक्रमों में भाग ले रहा है और ट्राइसाइकिल बांट रहा है।
वकील प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि "आशीष मिश्रा ने हाल ही में विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लिया और उत्तर प्रदेश में ट्राइसाइकिल वितरित कीं। मुझे नहीं पता कि इसकी अनुमति कैसे दी जा रही है। मैं इस संबंध में एक हलफनामा दायर करूंगा और दस्तावेज पेश करूंगा।” भूषण के आरोपों पर जवाब देते हुए आरोपी आशीष मिश्रा के वकील सिद्धार्थ दवे ने कहा, ''मैं (आरोपी) इतना मूर्ख नहीं हूं कि इस तरह की आजादी का उल्लंघन करूं।''
सुप्रीम कोर्ट बेंच ने प्रशांत भूषण से आरोपी आशीष मिश्रा द्वारा जमानत शर्तों के उल्लंघन के बारे में अपने आरोपों को साबित करने के लिए सामग्री पेश करने को कहा। अदालत ने सरकारी वकील और जिला पुलिस को गवाहों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी कदम उठाने का भी निर्देश दिया ताकि ट्रायल कोर्ट का समय बर्बाद न हो।
मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों का किसान संगठन विरोध कर रहे थे। 3 अक्टूबर 2021 को किसान शांतिपूर्ण धरने पर थे। उसी दिन लखीपुर खीरी में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का दौरा था। किसान जब विरोध कर रहे थे तो अचानक ही एक एसयूआई आई, जिसने कई किसानों को कुचल दिया। इसके बाद की हिंसा में दो भाजपा कार्यकर्ता, एक ड्राइवर और एक पत्रकार की मौत हो गई। आरोप है कि इनमें से एसयूवी आशीष चला रहा था। मोदी सरकार ने किसान आंदोलन के दबाव में तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया था।
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