उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य पर आरोप लगा है कि उनकी डिग्री फर्जी है। प्रयागराज की एडिशनल चीफ़ ज्युडिशियल मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) की अदालत ने बुधवार को इस मामले में पुलिस को शुरुआती जांच करने के आदेश दिए हैं। अगर यह मामला आगे बढ़ता है तो उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने का सपना संजोए मौर्य को तगड़ा झटका लग सकता है।
मौर्य की फर्जी डिग्री का मामला सामने आने के बाद कई तरह की चर्चाएं भी हैं। जैसे उत्तर प्रदेश के 2022 के चुनाव से ठीक छह महीने पहले ये बात कहां से सामने आ गई। बताना होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं।
एसीजेएम नम्रता सिंह ने प्रयागराज, कैंट के पुलिस अफ़सर को निर्देश दिए हैं कि वह इस मामले में एक सप्ताह के अंदर रिपोर्ट जमा करें। मामले में अगली सुनवाई 25 अगस्त को होगी।
बीजेपी नेता ने दायर की याचिका
आरटीआई कार्यकर्ता और वरिष्ठ बीजेपी नेता दिवाकर त्रिपाठी ने गंभीर आरोप लगाते हुए केशव प्रसाद मौर्य के ख़िलाफ़ याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि मौर्य फर्जी डिग्री के आधार पर अब तक पांच चुनाव लड़ चुके हैं।
आरोप है कि मौर्य की उत्तर मध्यमा द्वितीय वर्ष की डिग्री की सत्यता की जांच की जाए। यह डिग्री हिंदी साहित्य सम्मेलन की ओर से जारी की गई है। याचिका में यह भी कहा गया है कि मौर्य ने चुनावों के दौरान अपने शपथ पत्र में फर्जी प्रमाण पत्रों का इस्तेमाल किया है।
मौर्य पर आरोप है कि उन्होंने हाई स्कूल का फर्जी सर्टिफिकेट लगाकर इंडियन ऑयल का पेट्रोल पंप हासिल किया है। अदालत ने इस मामले में भी जांच करने के आदेश दिए हैं।
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दिवाकर त्रिपाठी का कहना है कि उन्होंने इस मामले में स्थानीय पुलिस थाने और एसएसपी से लेकर उत्तर प्रदेश सरकार के कई मंत्रालयों और केंद्र सरकार से कार्रवाई करने को कहा, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होने पर उन्हें अदालत का दरवाज़ा खटखटाना पड़ा।
सीएम बनने का सपना
मौर्य 2017 में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष थे और तब मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे थे। हालांकि तब उन्हें इससे चूकना पड़ा था लेकिन ताज़ा हालात उनके हक़ में बन रहे हैं। जिस तरह बीजेपी लगातार ओबीसी समुदाय पर फ़ोकस करते हुए इस समुदाय के नेताओं को अहमियत दे रही है, उससे माना जा रहा है कि पार्टी 2022 में मौर्य का मुख्यमंत्री बनने का सपना पूरा कर सकती है।
पीछे हट जाएगी पार्टी?
लेकिन ये फर्जी डिग्री का मामला अगर सही पाया गया तो फिर मौर्य के लिए राजनीति करना मुश्किल हो जाएगा। क्योंकि यह आरोप तो लगेगा ही कि वह अब तक निर्वाचन आयोग को धोखा देकर चुनाव लड़ते रहे हैं, बीजेपी भी उनसे दूरी बनाने की कोशिश करेगी। क्योंकि मामला सही पाए जाने पर विपक्षी दल इसे मुद्दा बना लेंगे और उस हालत में पार्टी उन्हें कोई बड़ा पद देने से पीछे हटना ही मुनासिब समझेगी।
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