अयोध्या में सरयू नदी में 28 साल में कितना पानी बह गया, इसका अंदाज़ा तो नहीं लगाया जा सकता, लेकिन नदी में अक्सर कुछ कंकर–पत्थर नीचे रह जाते हैं और वे कभी नहीं जाते ज़मीन छोड़कर, नदी में उतरने वालों के पाँव तले चुभते हैं, महसूस होते हैं। कुछ को तकलीफ़ देते हैं तो कुछ को गुदगुदी का अहसास कराते हैं, लेकिन साथ नहीं छोड़ते। अयोध्या में बाबरी मसजिद ढाँचा का गिरना भी वैसा ही कुछ है।
बीजेपी के लिए ‘अनुपयोगी’ हो चुके आडवाणी, जोशी को क्या बाबरी ध्वंस की सज़ा मिलेगी?
- उत्तर प्रदेश
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- 30 Sep, 2020

बहुत से लोग मानते हैं कि राम मंदिर आंदोलन मंदिर निर्माण के लिए नहीं हिन्दू विचारधारा को मजबूत करने और आगे बढ़ाने के लिए था और उस रास्ते पर यह रथ तेज़ रफ़्तार से दौड़ने लगा है,भले ही सारथी और नायक के चेहरे बदल गए हों।