‘आपने नरक नहीं देखा, तो वहाँ देख सकते थे। कोई सफ़ाई नहीं थी, टायलेट्स ओवरफ्लो कर रहे थे। चेहरे मौत से ज़्यादा डरावने, जहाज में बैठी डरी हुई लेकिन ग़ुस्से में बैठी महिला ने पूछा, इतने देर से क्यों आए…’ एक साँस में जसवंत सिंह मुझे देखे बिना बोल रहे थे, शायद बिना रुके भी। जसवंत सिंह की आँखों में वो तक़लीफ़ अब भी देखी जा सकती थी।
...जब जसवंत सिंह बन गए थे विलेन और प्रधानमंत्री वाजपेयी हीरो!
- विचार
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- 27 Sep, 2020

पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता जसवंत सिंह का निधन हो गया। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में 1996 से 2004 के बीच रक्षा, विदेश और वित्त जैसे मंत्रालयों का ज़िम्मा संभालने वाले जसवंत सिंह को कैसे याद किया जाएगा? काँधार विमान अपहरण जैसे कई मामलों में उन्हें विलेन के तौर पर पेश किया गया है, लेकिन सच्चाई क्या है? पेश है वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी द्वारा 2014 में लिए गए जसवंत सिंह के इंटरव्यू के कुछ अंश...
‘कांधार में अपहरण किया हुआ इंडियन एयरलाइंस का जहाज आईसी 814 खड़ा हुआ था। दहशत पसरी थी, मौत की दहशत, हर पल मरते हुए जीने की दहशत…’
विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने 160 से ज़्यादा लोगों की ज़िंदगी बचा दी लेकिन फिर भी उन्हें विलेन की तरह देखा जाता है। विमान अपहरण के वक़्त जब सैकड़ों लोग प्रधानमंत्री निवास के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे तब जसवंत सिंह के लिए बंधकों की रिहाई ही सबसे बड़ा मुद्दा था। सिंह 160 से ज़्यादा जानों के लिए किसी तरह का ख़तरा लेने को तैयार नहीं थे, और इसके लिए जब जसवंत सिंह ने तीन खूंखार आतंकवादियों की न केवल रिहाई का फ़ैसला किया बल्कि वह ख़ुद छोड़ने कांधार तक गए तो अचानक इस मुल्क ने उन्हें विलेन बना दिया जबकि आतंकवादियों को छोड़ने का फ़ैसला वाजपेयी सरकार का था, अकेले जसवंत सिंह का नहीं।