‘आपने नरक नहीं देखा, तो वहाँ देख सकते थे। कोई सफ़ाई नहीं थी, टायलेट्स ओवरफ्लो कर रहे थे। चेहरे मौत से ज़्यादा डरावने, जहाज में बैठी डरी हुई लेकिन ग़ुस्से में बैठी महिला ने पूछा, इतने देर से क्यों आए…’ एक साँस में जसवंत सिंह मुझे देखे बिना बोल रहे थे, शायद बिना रुके भी। जसवंत सिंह की आँखों में वो तक़लीफ़ अब भी देखी जा सकती थी।