उत्तर प्रदेश में अखिलेश राज में हुए खनन घोटाले की जाँच की आँच कई अधिकारियों तक पहुँच रही है। चर्चित आईएएस बी. चंद्रकला, पूर्व आईएएस नेतराम इस मामले में पहले से सीबीआई के घेरे में हैं। बुधवार को सीबीआई ने प्रदेश के बुलंदशहर में बहुचर्चित खनन घोटाला मामले में जिलाधिकारी अभय सिंह के निवास पर छापेमारी की। अभय सिंह काफ़ी समय से सीबीआई के रडार पर थे।
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अखिलेश राज में हुए खनन घोटाले व मायावती के समय में हुई सरकारी चीनी मिलों की बिक्री में खेल को लेकर सीबीआई ने बुधवार को ताबड़तोड़ छापेमारी की। यूपी समेत देश के 17 राज्यों में कई जगहों पर मंगलवार को शुरू हुई छापेमारी बुधवार तक चलती रही। सीबीआई ने बुलंदशहर के डीएम अभय सिंह, राज्य कौशल विकास मिशन के निदेशक विवेक और एक वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी के आवास की तलाशी ली और करोड़ों रुपये की नकद व बेनामी संपत्तियों के कागजात जब्त किए हैं। छापेमारी के दौरान बुलंदशहर के डीएम के आवास पर सीबीआई की ओर से नोट गिनने की मशीन मंगाये जाने की भी ख़बर है। इससे पहले मंगलवार को सीबीआई ने मायावती के प्रमुख सचिव रहे पूर्व आईएएस नेतराम व विनय प्रिय दुबे के घर भी छापेमारी की थी। इससे पहले भी सीबीआई फ़रवरी में नेतराम के घर छापा डाल चुकी है।
प्रदेश में दो वरिष्ठ आईएएस व एक राज्य सेवा के अधिकारी के घर से भारी मात्रा में नक़दी और बेनामी संपत्तियों के कागजात मिलने के बाद उनके ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज कर लिया गया है।
मौक़े पर मौजूद पुलिसकर्मियों के मुताबिक़, छापेमारी के दौरान सीबीआई को बड़ी संख्या में नक़दी मिली है। इसके चलते सीबीआई ने नोट गिनने की मशीन मंगवाई। इसके अलावा सीबीआई ने मुरादाबाद में प्रथमा यूपी ग्रामीण बैंक में महाप्रबंधक शैलेश रंजन के घर पर भी छापा मारा है। सीबीआई की टीम बुधवार सुबह दो वाहनों से डीएम के सरकारी आवास पर छापा मारने पहुँची। एक घंटे की तलाशी के बाद सीबीआई ने नोट गिनने की मशीन मँगवाई। उस दौरान घर पर डीएम अभय सिंह भी मौजूद रहे।
फतेहपुर में तैनाती के दौरान अभय सिंह पर अवैध खनन में लिप्त होने का आरोप लगा था। पाँच महीने पहले ही अभय सिंह को बुलंदशहर का डीएम बनाया गया था। इससे पहले सीबीआई ने अवैध खनन के मामले में बुलंदशहर की पूर्व जिलाधिकारी रहीं बी. चंद्रकला के यहाँ भी छापेमारी कर उनकी करोड़ों की संपति जब्त की थी।
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सीबीआई ने मंगलवार को मायावती के क़रीबी रिटायर्ड आईएएस अफ़सर नेतराम के लखनऊ व नई दिल्ली स्थित ठिकानों पर छापेमारी की थी। इसके अलावा सीबीआई ने आईएएस विनय प्रिय दुबे, पूर्व बसपा एमएलसी इकबाल के 14 ठिकानों पर दस्तावेज खंगाले थे।
अखिलेश राज में हुआ था घोटाला
अवैध खनन का मामला साल 2012 से 2016 के बीच का है, उस वक़्त राज्य में समाजवादी पार्टी की सरकार थी। तब खनन मंत्रालय का जिम्मा ख़ुद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ही संभाल रहे थे। ऐसे में उनपर भी लगातार सवाल उठते रहे हैं। इसके बाद अवैध खनन पट्टों को लेकर साल 2012 में हाई कोर्ट में एक याचिका दाख़िल की गई थी जिस पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने 2013 में नए और पुराने पट्टों पर रोक लगा दी थी। इस दौरान 10 महीने के क़रीब अभय सिंह फतेहपुर के जिलाधिकारी थे।खनन घोटाले में दो आईएएस अफ़सरों और एक वरिष्ठ पीसीएस अफ़सर के ख़िलाफ़ केस दर्ज होने के बाद घटनाक्रम पर मुख्यमंत्री कार्यालय की नजऱ बनी हुई है। जल्द से जल्द इन दोनों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जा सकती है। मुख्यमंत्री के निर्देशों के मुताबिक़, बुलंदशहर के जिलाधिकारी अभय और विवेक को निदेशक कौशल विकास के पद से हटाया जा सकता है।
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वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि जिलाधिकारी व जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों के घर सीबीआई के छापों के बाद मुख्यमंत्री ने सख़्त रवैया अपनाते हुए पूरे मामले की जानकारी माँगी है। उनका कहना है कि खनन घोटाले या इस तरह के किसी मामलों में संदिग्ध अफ़सरों की महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती न की जाए। जो अधिकारी बढ़िया तैनाती पर हैं उन्हें हटाकर महत्वहीन पदों पर भेज दिया जाए।
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