राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले में अयोध्या में मस्जिद के निर्माण के लिए 5 एकड़ जमीन देने का निर्देश दिया गया था। लेकिन यही जमीन मस्जिद के निर्माण को शुरू करने में सबसे बड़ी अड़चन बनी हुई है।
यूपी सरकार ने सोहावल तहसील के धन्नीपुर गांव में मस्जिद ट्रस्ट आईआईसीएफ को फैसले के बाद ही जमीन भी आवंटित कर दी थी। जिस पर मस्जिद ट्रस्ट ने तेजी से मस्जिद निर्माण के साथ हास्पिटल व रिचर्स सेंटर, कम्युनिटी किचन सहित कई प्रोजेक्ट्स का नक्शा जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के जाने-माने आर्किटेक्ट एसएम अख्तर से तैयार करवाया था।
ट्रस्ट के सचिव अतहर हुसैन का दावा है कि यह मस्जिद विवादित बाबरी मस्जिद की कोई पहचान नहीं रखेगी।
हो चुकी है जमीन की जांच
करीब 2 साल पहले मस्जिद ट्रस्ट ने मस्जिद स्थल की सॉइल टेस्टिंग करवा कर अयोध्या विकास प्राधिकरण (एडीए) में इसका नक्शा पास करवाने के लिए निर्धारित प्रारंभिक शुल्क के साथ जमा किया। एडीए ने जल्द नक्शा पास करने का आश्वासन दिया। पर एक साल तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। ट्रस्ट की पहल के बाद एडीए ने एक दर्जन से ज्यादा विभागों से एनओसी मांगी। विभागों ने देरी की तो एडीए ने खुद एनओसी के लिए विभागों को पत्र लिखा। लेकिन फायर विभाग ने मस्जिद स्थल को जोड़ने वाले रास्ते की चौड़ाई कम बताकर आपत्ति ठोक दी।
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जिस पर प्रशासन ने हाई वे से धन्नीपुर को जोड़ने वाली सड़क को चौड़ा करने की पहल की जो अभी तक पूरी नहीं हो सकी है। नतीजतन नक्शा पास करने का मामला अधर में लटका रहा। एडीए में नक्शा जमा करने के दो साल बाद जमीन पर निर्माण को लेकर दूसरी रूकावट अक्टूबर में बताई गई। जो है रेवेन्यू रिकॉर्ड भूमि का एग्रीकल्चर लैंड के तौर पर दर्ज होना। अब इसे भवन निर्माण के लिए परिवर्तन करने की कार्रवाई शासन स्तर पर होनी है। यह कब तक पूरी होगी इसके लिए कोई समय सीमा तय नहीं है।
मस्जिद ट्रस्ट के सदस्य अरशद अफजाल खां का कहना है कि एडीए ने इसके लिए जमीन के कागजात के साथ इसके ग्रीन लैंड को बदलने के लिए आवेदन की मांग की जिसे एडीए के बोर्ड की बैठक में पास करवा कर शासन को अप्रूवल के लिए भेजा जाएगा। इसके लिए भी मस्जिद ट्रस्ट ने एक हजार रू शुल्क के साथ आवेदन पत्र एडीए में जमा कर दिया है। अब ग्रीन लैंड को आवासीय लैंड में परिवर्तन करने की कार्रवाई एडीए व शासन के कार्यक्षेत्र में है।
उन्होंने बताया कि डीएम नीतीश कुमार ने आश्वासन दिया है कि 10 दिनों के अंदर एडीए बोर्ड से इस आवेदन पत्र पर प्रस्ताव को शासन को स्वीकृति के लिए भेज दिया जाएगा।
आपत्तियां खत्म करे सरकार
धन्नीपुर में 5 एकड़ जमीन पर मस्जिद निर्माण करने वाले ट्रस्ट के सदस्य अरशद इफजाल खां का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में साफ तौर पर कहा गया है कि अयोध्या में उचित और उपयोगी जगह पर मस्जिद के लिए जमीन आवंटित की जाए लेकिन शासन ने अयोध्या नगर से 25 किमी दूर धन्नीपुर गांव में ऐसी जमीन आवंटित कर दी जो ग्रीन लैंड है जिस पर आवासीय भवन का निर्माण नहीं हो सकता। यह आपत्ति भी एडीए में नक्शा जमा करने के दो साल के बाद 18 अक्टूबर 2022 को लगाई गई। उन्होंने कहा कि सरकार ने भूमि को मस्जिद के लिए आवंटित किया तो इसके निर्माण में बाधाएं क्यों पैदा की जा रही हैं। साथ ही आपत्तिजनक जमीन क्यों आवंटित की गई।
इन आपत्तियों को खत्म करने की जिम्मेदारी भी सरकार की है। अफजाल खां का कहना है कि मस्जिद कांप्लेक्स का नक्शा पास होते ही हम निर्माण शुरू कर देंगे। इसकी तैयारी है पर नक्शा पास कब होगा। इसकी ठोस व सही जानकारी एडीए नहीं दे रहा।
धन्नीपुर मस्जिद के प्रोजेक्ट में 2 हजार लोगों के नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद, बड़ा सुपर स्पेशियलिटी हास्पिटल, कम्युनिटी किचन, रिसर्च सेंटर, लाइब्रेरी व म्यूजियम का निर्माण का नक्शा तैयार कर एडीए में जमा किया गया है।
कुछ अहम तारीख
- 5 फरवरी 2020 - जमीन धन्नीपुर में देने का शासन का ऐलान।
- 7 मार्च 2020- सरकार ने मस्जिद ट्रस्ट को जमीन का कब्जा दिलाया।
- 28 जुलाई 2020- सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने मस्जिद निर्माण के लिए आईआईसीएफ ट्रस्ट का गठन किया।
- 11 सितंबर 2020- 7,74,500 रुपए की स्टांप ड्यूटी पर जमीन का बैनामा आईआईसीएफ ट्रस्ट के नाम करवाया गया।
- 31 जुलाई 2020- एडीए में मस्जिद प्रोजेक्ट का नक्शा अप्रूवल के लिए जमा किया गया।
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