पुरुष और महिला यदि स्वेच्छा से विवाह या प्रेम संबंध बनाना चाहते हैं तो उन्हें इस बात की आज़ादी क़तई नहीं दी सकती है। तथाकथित समाज उन्हें इस बात के लिए प्रताड़ित करेगा। यदि वे दलित हैं तब तो प्रेम करने के उनके अधिकार और अधिक संकुचित हो जाते हैं तथा प्रताड़ना की डिग्री और भी बढ़ा दी जाती है। वर्षों से सवर्ण और दबंग जातियों के लोग इन दलित जातियों और जनजातियों के 'अपराधियों' को इन मामलों में कठोर सज़ा देते आए हैं।
जब दलितों ने दलित जोड़े का सिर मुंडा-जूते पहनाये क्योंकि वो प्रेम करते...
- उत्तर प्रदेश
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- 31 Aug, 2020

सवर्ण जनित हिंसा की इन ख़बरों के प्रचंड प्रवाह का असर समाज के बाक़ी तबक़ों के साथ-साथ दलितों पर भी हो रहा है और सामजिक व आर्थिक उपेक्षा के आख़िरी छोर पर बैठा दिए जाने के बावजूद वे भी कमज़ोर को सबक़ सिखाने का ‘गुरुमंत्र’ सीखने लग गए हैं