उत्तर प्रदेश की जितनी विशाल आबादी है, क्या उस हिसाब से यहां टेस्टिंग हो रही होगी। अगर ढंग से टेस्टिंग हो तो क्या 24 करोड़ की आबादी वाले इस प्रदेश में हर दिन सिर्फ 20 से 35 हज़ार तक ही मामले आएंगे। वो भी तब, जब कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमण बहुत तेज़ हो। इस बात पर यकीन करना मुश्किल है।
राज्य के कई गांवों से ख़बरें आ रही हैं कि लोग खांसी-बुखार, सिरदर्द-बदन दर्द से बुरी तरह परेशान हैं और गांवों में मौतें भी बहुत हो रही हैं। लेकिन क्या ऐसे लोगों की टेस्टिंग हो रही है और क्या गांवों में बुखार से होने वाली सभी मौतों को कोरोना से होने वाली मौतों के आंकड़े में गिना जा रहा होगा?
पंचायत चुनावों ने किया बेड़ागर्क
उत्तर प्रदेश में लखनऊ से लेकर कानपुर और वाराणसी से लेकर प्रयागराज और आगरा तक कई बड़े शहर कोरोना की चपेट में हैं। स्वास्थ्य इंतजामों के क्या हालात हैं, इसके बारे में बीजेपी के नेता लगातार योगी सरकार को पत्र लिखकर बता रहे हैं। पंचायत चुनाव के बाद गांवों की हालत बुरी तरह बिगड़ गई है। कई गांवों में बुखार के बाद मौतें हुई हैं और हालात बिगड़ने के बाद स्वास्थ्य महकमे को याद आती है कि अब इस गांव में सैनिटाइजेशन या टेस्टिंग होनी चाहिए।
बात करते हैं उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के गांवों की। यहां पर हालात ऐसे हैं कि संक्रमण फैल चुका है और लोग इलाज, दवाइयों, टेस्टिंग के लिए परेशान हैं। क्योंकि अमूमन उनके गांवों तक स्वास्थ्य महकमा तब पहुंचता है, जब संक्रमण फैलने की ख़बरें मीडिया में पहुंचती हैं।
आगरा से 40 किमी. दूर एत्मादपुर नाम का गांव है। इंडिया टुडे के मुताबिक़, यहां बीते दो हफ़्ते में बुखार-खांसी, सांस लेने में दिक्कत के कारण 14 लोगों की मौत हो चुकी है। गांव में 100 लोगों की टेस्टिंग की गई तो 27 लोग संक्रमित मिले। यानी कि संक्रमण फैल चुका है। इसके बाद स्वास्थ्य महकमे के अफ़सरों की नींद टूटी और वे गांवों की ओर भागे और पॉजीटिव आए लोगों को आइसोलेट करवाया।
आइसोलेशन सेंटर बदहाल
इंडिया टुडे के मुताबिक़, गांव के आइसोलेशन सेंटर में कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए ज़रूरी चीजें नहीं हैं। इस वजह से जिन लोगों की तबीयत बिगड़ती है, उन्हें आगरा शिफ़्ट करना पड़ता है। लेकिन सभी को आगरा शिफ़्ट नहीं किया जा सकता इसलिए ग्रामीण इस आइसोलेशन सेंटर के भरोसे अपनी जान बचाने की उम्मीद लगाए बैठे हैं। यहां पर ऑक्सीजन तक नहीं है, ऐसे में किसी को सांस लेने में दिक्कत हुई तो सोचिए क्या होगा।
कोरोना पॉजीटिव आने के बाद भी लोग बेहतर इलाज के लिए शहर नहीं जाना चाहते क्योंकि शायद उन्हें नहीं बताया गया है कि ये संक्रमण उनसे दूसरे लोगों में फैलेगा और ये कितना ख़तरनाक हो सकता है। ग्रामीणों ने इंडिया टुडे को बताया कि कोरोना पॉजीटिव आ चुके लोग भी गांवों में खुलेआम घूम रहे हैं और आइसोलेशन सेंटर में भेजे गए लोग भी वहां से बाहर निकल जाते हैं।
50 लोगों की मौत
आगरा से 12 किमी दूर ऐसे ही हालात बामरौली कटारा गांव के हैं। 35-40,000 की आबादी वाले इस गांव में बीते कुछ दिनों में 50 लोगों की मौत हो चुकी है। ग्रामीणों का कहना है कि मर चुके लोगों में कोरोना के ही लक्षण थे। ग्रामीणों के द्वारा कई बार अपील करने के बाद स्वास्थ्य महकमे के लोग सोमवार को गांव में पहुंचे और कोरोना टेस्टिंग की। गांव की आबादी ज़्यादा होने के कारण अधिकारी ज़्यादा लोगों के टेस्ट नहीं कर सके और सिर्फ़ 46 लोगों के सैंपल लिए। इनमें से 2 लोग पॉजीटिव आए। ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत चुनाव के पहले चरण के बाद गांव में कई लोग बुखार से पीड़ित हुए।
कुछ ऐसे ही हालात बुलंदशहर के परवाना गांव के हैं। इस गांव में पंचायत चुनाव के दौरान से अब तक लगभग डेढ़ माह के वक़्त में 28 से 30 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से कई लोगों में कोरोना के लक्षण थे लेकिन जब तक स्वास्थ्य विभाग की टीम जांच शुरू करवाती, कई लोग मर चुके थे।
पूर्वी उत्तर प्रदेश भी बेहाल
पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आप पूर्वी उत्तर प्रदेश की ओर बढ़ेंगे तो जौनपुर से लेकर बलिया और ग़ाज़ीपुर से लेकर भदोही, सोनभद्र, मऊ, बलिया जिले के कई गांवों में कोरोना का संक्रमण फैल चुका है। ग़ाज़ीपुर जिले की सौरम ग्राम पंचायत की प्रधान सीमा जायसवाल ने जिलाधिकारी को पत्र भेजकर 16 लोगों के नाम लिखे हैं, जो उनके गांव के हैं और जिनकी मौत बीते कुछ दिनों में हो चुकी है। बाक़ी इलाक़ों से भी इसी तरह की ख़बरें हैं कि यहां टेस्टिंग और इलाज सिर्फ भगवान भरोसे है।
ख़राब होते हालात
इतने बड़े प्रदेश में हर दिन 2 से सवा दो लाख के आसपास टेस्टिंग हो रही है। पंचायत चुनाव के बाद कोरोना बुरी तरह फैल चुका है। इसलिए बाकी बचे गांवों में संक्रमण फैलने से पहले उन्हें बचाना होगा और जहां संक्रमण फैल चुका है, वहां पूरी ताक़त झोंकनी होगी।
वरना, नदियों में शव बहाए जाने से लेकर खांसी-बुखार से होने वाली मौतें कभी गिनी ही नहीं जाएंगी। क्योंकि न तो टेस्टिंग होगी, न कोरोना का पता चलेगा और न ही मौतों या संक्रमितों का आंकड़ा बढ़ेगा। लेकिन ये हालात जनता को मौत के मुंह में धकेलने वाले हैं और इन्हें सिर्फ़ बातें करके नहीं बदला जा सकता।
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