तीन चरण की 172 सीटों पर मतदान के बाद यूपी की सियासी सूरत अब धीरे-धीरे साफ होने लगी है। पहले दो चरण के चुनाव में जाट और मुसलिम बहुल इलाके में आरएलडी और सपा गठबंधन ने बीजेपी का मजबूती से मुकाबला किया। इसमें सपा गठबंधन की लहर दिख रही थी। लेकिन तीसरे चरण में यह लहर थमती नजर आई। अब बीजेपी की चुनावी भाषा ज्यादा कठोर और नफरती होती जा रही है।
बीएसपी के उभार से किस पार्टी को होगा सबसे अधिक नुक़सान?
- उत्तर प्रदेश
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- रविकान्त
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- 23 Feb, 2022


रविकान्त
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बीएसपी की वजह से किस राजनीतिक दल को सबसे ज्यादा नुकसान होगा और इससे राजनीतिक समीकरण किस तरह बदलेंगे?
पश्चिमी यूपी में कैराना और मुजफ्फरनगर के बहाने मुसलमानों का पैशाचीकरण करके सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने की कोशिश की गई। सपा पर मुसलमानों को संरक्षण देने के खुलेआम आरोप लगाए गए।
कानून व्यवस्था जैसे सवाल को भी सांप्रदायिक भाषा में पेश किया गया। लेकिन किसानों की नाराजगी से उपजी जाटों की गोलबंदी के आगे बीजेपी का सांप्रदायिक कार्ड नहीं चल सका। आलम यह था कि बीजेपीई नेता चुनाव प्रचार भी आसानी से नहीं कर सके। यह नाराजगी बूथ के आगे मतदान केंद्रों पर भी दिखी।
रविकान्त
लेखक सामाजिक-राजनीतिक विश्लेषक हैं और लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में असि. प्रोफ़ेसर हैं।