बीएसपी के ब्राह्मण सम्मेलन, अखिलेश यादव और प्रियंका गांधी की बढ़ती राजनीतिक गतिविधियों, किसानों के मिशन यूपी-उत्तराखंड के जवाब में उत्तर प्रदेश बीजेपी भी पूरे दम-ख़म के साथ चुनाव मैदान में उतरने जा रही है। इसकी रणनीति बनाने के लिए दिल्ली में उत्तर प्रदेश के बीजेपी सांसदों की दो दिन की बैठक हो रही है।
ख़बर है कि पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को फ्रंट फ़ुट पर रखते हुए मैदान में उतरेगी और जबरदस्त चुनाव अभियान छेड़ेगी। राज्य में 7 महीने के अंदर चुनाव होने वाले हैं।
बीजेपी जानती है कि पेगासस जासूसी मामले, किसान आंदोलन और कोरोना की दूसरी लहर के दौरान बने भयावह हालात के बाद जनता के बीच पैदा हुई नाराज़गी उत्तर प्रदेश से उसकी विदाई करा सकती है, इसलिए पार्टी ने पूरी ताक़त के साथ चुनाव मैदान में जाने का फ़ैसला किया है।
हाल ही में बनारस में प्रधानमंत्री मोदी ने जब योगी आदित्यनाथ की तारीफ़ों के पुल बांधे तो उससे साफ हो गया कि पार्टी योगी के चेहरे को आगे रखते हुए चुनाव मैदान में उतरेगी।
अब बारी सियासी संग्राम में तलवारों को भांजने की है और इसीलिए दिल्ली में उत्तर प्रदेश के बीजेपी सांसदों की दो दिन की बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में लोकसभा और राज्यसभा के सांसद तो शामिल हैं ही पार्टी संगठन के बड़े पदाधिकारी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल हो रहे हैं।
सांसदों को दी जाएगी जिम्मेदारी
बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सांसदों से सीधे मुखातिब हो सकते हैं और सरकार और संगठन के बीच जो मुद्दे हैं, उन्हें भी हल किया जाएगा। बीजेपी इन दो दिनों में उत्तर प्रदेश के बृज, पश्चिमी इलाके़, कानपुर, अवध, काशी, मध्य इलाक़े सहित बाक़ी इलाक़ों के चुनावी हालात पर चर्चा करेगी। पार्टी अपने सांसदों को उनके संसदीय क्षेत्रों में आने वाली विधानसभा सीटों पर जीत दिलाने की जिम्मेदारी सौंप सकती है।
यूपी को मिली थी अहमियत
हाल ही में हुए मोदी कैबिनेट के विस्तार में उत्तर प्रदेश को खासी अहमियत दी गई थी। विस्तार में दलितों-पिछड़ों पर खासा ध्यान दिया गया था। इसमें उत्तर प्रदेश से 7 नए मंत्री बनाए गए थे। इनमें कौशल किशोर, एसपी बघेल, पंकज चौधरी, बीएल वर्मा, अजय कुमार, भानु प्रताप वर्मा और अनुप्रिया पटेल शामिल हैं।
बीते कुछ महीनों में सामने आया धर्मांतरण का मुद्दा हो, लव जिहाद हो या जनसंख्या नियंत्रण का मुद्दा, इसके अलावा बीजेपी नेताओं के बेतुके बयान भी, इससे साफ पता चलता है कि आने वाले महीनों में बीजेपी किस लाइन पर अपना चुनाव प्रचार करेगी।
बूथ मैनेजमेंट पर जोर
दिल्ली में हो रही इस बैठक से पहले पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, महामंत्री (संगठन) सुनील बंसल पूरे प्रदेश का दौरा कर पार्टी के जिला और ब्लॉक स्तर के पदाधिकारियों, विधायकों-मंत्रियों से मुलाक़ात कर चुके हैं।
न्यूज़ 18 के मुताबिक़, पार्टी राज्य के हर बूथ पर 11 सदस्यों की कमेटी बनाने जा रही है। यह पार्टी के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह के माइक्रो लेवल बूथ मैनेजमेंट का ही विस्तार है जिसकी बदौलत पार्टी को 2014, 2017 और 2019 के लोकसभा चुनाव में अच्छी-ख़ासी सफलता मिली थी।
75 जिलों, 403 विधानसभा सीटों और 24 करोड़ की आबादी वाले इस विशालकाय प्रदेश में चुनाव लड़ना और जीतना कोई आसान काम नहीं है। इसके लिए मजबूत संगठन, हर घर तक पहुंच और जनता को यह भरोसा दिलाना ज़रूरी होता है कि वाक़ई आप में दूसरों के मुक़ाबले ज़्यादा दम है।
उत्तर प्रदेश बीजेपी के उपाध्यक्ष विजय बहादुर पाठक न्यूज़ 18 से कहते हैं कि पार्टी चुनाव से पहले लोगों से जुड़ने के अभियान में तेज़ी लाएगी।
किसानों का मिशन
बीजेपी जानती है कि पंचायत चुनावों में उसे किसान आंदोलन के कारण खासा नुक़सान हुआ है, ख़ासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इस आंदोलन का ख़ासा असर है, ऐसे में नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ को फ्रंट फुट पर रखे बिना और बिना तगड़े बूथ मैनेजमेंट के चुनाव में जीत हासिल करना बेहद मुश्किल हो जाएगा।
किसानों ने साफ एलान किया है कि वे उत्तर प्रदेश के हर जिले, हर ब्लॉक और यहां तक कि हर घर तक पहुंचने की कोशिश करेंगे। निश्चित रूप से किसानों की यह मुहिम बीजेपी को इस राज्य के साथ ही पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में भी नुक़सान पहुंचा सकती है।
देखना होगा कि बीजेपी अपने सांसदों के इस मेगा मंथन में क्या रणनीति तैयार करती है और उसे ज़मीन पर किस तरह उतारती है।
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