कोरोना के चरम पर हुए पंचायत चुनाव में यूपी में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी की दुर्गति हुई है। किसान आंदोलन की आँच में पार्टी पश्चिमी यूपी में भी बुरी तरह झुलसी है। बीजेपी के लिए सबसे बड़ा झटका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव क्षेत्र वाराणसी में मिली हार है जहाँ उसे समाजवादी पार्टी ने पीछे छोड़ दिया है। आगामी विधानसभा चुनावों में अयोध्या के राम मंदिर और मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि की मुक्ति को बड़ा मुद्दा बनाने का ख्वाब संजो रही बीजेपी को इन दोनों ज़िलों में मुँह की खानी पड़ी है।
कोरोना की दूसरी लहर के चरम पर पहुँचने की दशा में पंचायत चुनाव के आख़िरी दो चरणों के ज़िलों में बीजेपी को सबसे ज़्यादा जनता का ग़ुस्सा झेलना पड़ा है। परंपरागत रूप से बीजेपी का गढ़ माने जाने वाले राजधानी लखनऊ में भी इसकी करारी हार हुई है। हालाँकि बड़ी तादाद में जीते निर्दलीय ज़िला पंचायत सदस्यों को बीजेपी अपने पाले में बताकर जीत प्रचारित कर रही है पर वास्तविकता तो यह है कि इसने प्रदेश भर के सभी ज़िला पंचायत सदस्यों के पदों पर अपने प्रत्याशी खड़े किए थे और सबसे ज़्यादा व्यवस्थित तरीक़े से चुनाव लड़ा था।
तीन चौथाई सीटें हारी बीजेपी
उत्तर प्रदेश में हुए ज़िला पंचायत सदस्यों के चुनाव के अद्यतन परिणाम देखें तो बीजेपी को अधिकांश सीटों पर हार का मुँह देखना पड़ा है। प्रत्याशियों की सूची से मिलान करने पर पता चलता है कि बीजेपी क़रीब 75 फ़ीसदी सीटें हार गयी है। बीजेपी के कई दिग्गज इन चुनावों में खेत रहे हैं। परिणामों के मुताबिक़ ज़िला पंचायत के 3050 सदस्यों में से 3047 के नतीजे या रुझान सामने आ चुके हैं। इनमें बीजेपी ने 768, सपा ने 759 सीटें जीती हैं तो बसपा को 369 सीटों पर जीत मिली है। कांग्रेस को 80 सीटें मिली हैं जबकि आम आदमी पार्टी भी वाराणसी सहित कई स्थानों पर जीत हासिल कर चुकी है। निर्दलीय प्रत्याशियों ने सबसे ज़्यादा 1071 सीटों पर जीत हासिल की है।
मथुरा, काशी, अयोध्या में बीजेपी को झटका
बीजेपी की चुनावी रणनीति के केंद्र में रहे अयोध्या, मथुरा और वाराणसी में पार्टी को करारा झटका लगा है। मथुरा ज़िला पंचायत के चुनाव परिणाम में ज़िले में बसपा ने पहला स्थान प्राप्त किया है और बीजेपी और रालोद 9-9 सीट जीतकर बराबर रहे हैं। ज़िले में 3 सीटों पर निर्दलीय एवं एक पर सपा ने परचम लहराया है। मथुरा में प्रदेश के पूर्व मंत्री एवं मांट क्षेत्र से विधायक श्यामसुंदर शर्मा की धर्मपत्नी एवं पूर्व ज़िला पंचायत अध्यक्ष सुधा शर्मा बसपा से चुनाव जीत गई हैं। वहीं पूर्व विधायक बीजेपी प्रणतपाल सिंह के बेटे चुनाव हार गए हैं।
पंचायत चुनाव में अयोध्या और काशी दोनों जगहों से आ रहे नतीजे बीजेपी को परेशान करने वाले हैं।
अयोध्या में 40 में से 19 सीटें समाजवादी ने जीत ली हैं। बीजेपी को केवल 6 सीटें मिली हैं। इसी तरह वाराणसी में 40 सीटों में से सपा को 14 सीटें हासिल हुई हैं। बीजेपी को केवल 8 सीटें मिल सकी हैं।
किसान आंदोलन, कोरोना ने बिगाड़ा खेल!
बीजेपी के लिए पश्चिम में किसान आंदोलन ने तो पूरब में कोरोना लहर ने खेल बिगाड़ने का काम किया है। कोरोना लहर के चरम पर होने की दशा में पूर्वी उत्तर प्रदेश की जिन सीटों पर चुनाव हुए वहाँ बीजेपी को तगड़ा नुक़सान उठाना पड़ा है। कुशीनगर ज़िले की 61 ज़िला पंचायत सीट में मात्र 6 सीट बीजेपी के खाते में आई हैं जबकि 9 सीटों पर सपा व 3 पर बीएसपी का कब्जा हुआ और कांग्रेस ने भी तीन सीटें जीती हैं। यहाँ एआईएमआईएम व जन अधिकार पार्टी ने भी एक-एक सीट जीत कर खाता खोला है जबकि 40 सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशियों ने अपना लोहा मनवाया है।
बस्ती में ज़िला पंचायत सदस्य चुनाव में बीजेपी को बड़ा झटका लगा है जहाँ इसके 43 उम्मीदवारों में से 9 लोगों ने जीत दर्ज की है और ज़िला पंचायत सदस्य के 34 उम्मीदवार चुनाव हारे हैं।
कांग्रेस की सीटें बढ़ीं पर मायूसी बरकार
उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनावों में कांग्रेस ने ज़िला पंचायत सदस्यों की 80 से ज़्यादा सीटें जीती हैं। लंबे अरसे बाद दमखम से उतरी कांग्रेस में मायूसी ज़रूर है पर बीते चुनावों के मुक़ाबले ये क़रीब दोगुनी हैं। इससे पहले 2016 में हुए पंचायत चुनावों में कांग्रेस ने 42 ज़िला पंचायत सदस्यों की सीटें जीती थीं। कांग्रेस को रायबरेली, प्रतापगढ़ और बहराइच में अच्छी सफलता मिली है।
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