क्या किसी विषय को पढ़ाने के लिए किसी ख़ास धर्म का होना ज़रूरी है? फिर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय यानी बीएचयू में एक मुसलिम फ़िरोज़ ख़ान के संस्कृत पढ़ाने का विवाद क्यों बढ़ता जा रहा है? योग्यता की रट लगाने वाले अब फ़िरोज़ की योग्यता के समर्थन में नहीं आ रहे हैं। बहुत संभव है कि हमेशा योग्यता की वकालत करने वाले ही फ़िरोज़ का विरोध कर रहे हों। फ़िरोज़ की योग्यता पर सवाल भी कैसे उठ सकते हैं, वह भी तब जब बीएचयू प्रशासन ने साफ़ किया है कि वह नियमों के तहत पूरी तरह योग्यता के आधार पर चुने गए हैं।
बीएचयू में विवाद- क़ुरान से ज़्यादा संस्कृत जानता हूँ: फ़िरोज़
- उत्तर प्रदेश
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- 20 Nov, 2019
क्या किसी विषय को पढ़ाने के लिए किसी ख़ास धर्म का होना ज़रूरी है? फिर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय यानी बीएचयू में एक मुसलिम फ़िरोज़ ख़ान के संस्कृत पढ़ाने का विवाद क्यों बढ़ता जा रहा है?

फ़िरोज़ मुसलिम हैं तो क्या, पूरी ज़िंदगी उन्होंने संस्कृत की ही पढ़ाई की है। दूसरी कक्षा से संस्कृत की पढ़ाई शुरू कर दी थी। इसके बाद वह कभी रुके नहीं। फ़िरोज़ ने शास्त्री (स्नातक), शिक्षा शास्त्री (बीएड), आचार्य यानी स्नातकोत्तर की परीक्षा पास की और 2018 में राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, जयपुर (डीम्ड यूनिवर्सिटी) से पीएचडी पूरी की। उन्होंने नेट और जेआरएफ़ की परीक्षा भी पास की है। तीन साल तक संस्कृत के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर भी रहे हैं। फ़िरोज़ राजस्थान में संस्कृत युवा प्रतिभा सम्मान से सम्मानित हैं। फ़िरोज़ के पिता रमज़ान ख़ान भी संस्कृत में स्नातक हैं।