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आज़म ख़ान को एक और मामले में जेल की सजा हुई है। उनके साथ उनकी पत्नी और बेटे को भी सजा मिली है। यूपी के रामपुर की एक अदालत ने बुधवार को सपा नेता आजम खान, उनकी पत्नी तज़ीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम को 2019 के फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में दोषी ठहराया। अदालत ने तीनों को सात-सात साल की जेल की सजा सुनाई। अदालत के फैसले के बाद तीनों को न्यायिक हिरासत में ले लिया गया और जेल भेज दिया गया। बचाव पक्ष के वकील नासिर सुल्तान ने कहा है कि वे फैसले के खिलाफ अपील दायर करेंगे।
एमपी-एमएलए अदालत के मजिस्ट्रेट शोबित बंसल ने तीनों दोषियों को अधिकतम सात साल की सजा सुनाई। अदालत का यह फ़ैसला अब्दुल्ला आजम के जन्म प्रमाण पत्र में कथित जालसाजी से जुड़े मामले में आया है। इस फ़ैसले के बाद अखिलेश यादव ने आरोप लगाया है कि सियासत के लिए आज़म ख़ान के परिवार को निशाना बनाकर एक पूरे समाज को डराने का खेल खेला जा रहा है।
माननीय आज़म खान जी और उनके परिवार को निशाना बनाकर समाज के एक पूरे हिस्से को डराने का जो खेल खेला जा रहा है, जनता वो देख भी रही है और समझ भी रही है। कुछ स्वार्थी लोग नहीं चाहते हैं कि शिक्षा-तालीम को बढ़ावा देनेवाले लोग समाज में सक्रिय रहें। इस सियासी साज़िश के ख़िलाफ़ इंसाफ़ के…
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) October 18, 2023
बता दें कि 2017 में उत्तर प्रदेश में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से आज़म खान के खिलाफ रामपुर में भूमि कब्जा, धोखाधड़ी और आपराधिक अतिक्रमण सहित विभिन्न आरोपों में 81 मामले दर्ज किए गए हैं। कुछ मामलों में आजम की पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम पर भी केस दर्ज किया गया है। रामपुर की एक अदालत ने 2019 के लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान दर्ज नफरती भाषण मामले में आजम खान को दो साल की कैद की सजा सुनाई थी। तब उन्होंने योगी आदित्यनाथ के ख़िलाफ़ विवादास्पद भाषण दिया था।
मुरादाबाद की एक अदालत ने आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान को 15 साल पुराने मामले में दो साल की कैद की सजा सुनाई थी, जिसमें पुलिस द्वारा चेकिंग के लिए उनके वाहन को रोके जाने के बाद उन पर यातायात अवरुद्ध करने का मामला दर्ज किया गया था। अब्दुल्ला को अयोग्य घोषित कर दिया गया और उनकी विधानसभा सदस्यता चली गई। आजम खान को 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान दर्ज नफरत वाले भाषण मामले में रामपुर की एक अदालत ने तीन साल की कैद की सजा सुनाई थी। दोषसिद्धि के कारण उन्हें विधानसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। बाद में सत्र न्यायालय ने उन्हें बरी कर दिया था जिसके ख़िलाफ़ सरकार ने हाई कोर्ट में अपील की।
आजम, उनकी पत्नी और उनके बेटे को भारतीय दंड संहिता की धारा 420 यानी धोखाधड़ी और बेईमानी करना), 467 यानी मूल्यवान सुरक्षा, वसीयत आदि की जालसाजी, 468 यानी धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी, 471 यानी जाली को असली के रूप में उपयोग करना और 120बी यानी आपराधिक साज़िश के तहत दोषी ठहराया गया। अदालत ने अभियोजन पक्ष के 15 गवाहों से पूछताछ की, जबकि बचाव पक्ष ने अदालत में 19 गवाह पेश किए।
दरअसल, यह मामला 3 जनवरी, 2019 का है। एक स्थानीय निवासी और मौजूदा बीजेपी विधायक आकाश सक्सेना ने गंज पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कराया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि आजम खान और तंजीन फातिमा ने साजिश के तहत अपने बेटे अब्दुल्ला आजम खान का दो जन्म प्रमाण पत्र बनवाया।
पहले प्रमाण पत्र में कहा गया है कि उनका जन्म रामपुर में हुआ था और दूसरे में कहा गया था कि उनका जन्म लखनऊ में हुआ था। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार शिकायत में कहा गया था कि आजम और उनकी पत्नी ने अब्दुल्ला के लिए दो जन्म प्रमाणपत्र जारी कराए, जिनमें से एक 28 जून 2012 को रामपुर नगर पालिका से जारी किया गया था। इसमें उनका जन्म स्थान रामपुर बताया गया है और इसे तंजीन फातिमा और आजम खान के शपथ पत्र के आधार पर जारी किया गया है। दूसरा 21 जनवरी 2015 को लखनऊ नगर पालिका द्वारा जारी किया गया था। यह लखनऊ के मैरी हॉस्पिटल द्वारा दिए गए प्रमाण पत्र के आधार पर जारी किया गया था।
अब्दुल्ला पर आरोप है कि उन्होंने पहले जन्म प्रमाण पत्र का इस्तेमाल अपने पासपोर्ट और विदेश यात्रा के लिए किया, जबकि दूसरे का इस्तेमाल सरकारी रिकॉर्ड और जौहर विश्वविद्यालय से संबद्धता हासिल करने के लिए किया।
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