समाजवादी पार्टी ने रामपुर लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए आसिम राजा को उम्मीदवार बनाया है। इससे पहले यह खबर आई थी कि वरिष्ठ नेता मोहम्मद आजम खान की पत्नी तंजीन फातिमा उपचुनाव में सपा की उम्मीदवार होंगी। लेकिन सोमवार सुबह आजम खान ने आसिम राजा के नाम का एलान किया।
जबकि आजमगढ़ सीट से पार्टी ने पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव को टिकट दिया है। आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीट पर 23 जून को वोट डाले जाएंगे।
आसिम राजा मोहम्मद आजम खान के बेहद करीबी हैं और यह साफ है कि समाजवादी पार्टी ने रामपुर में टिकट फाइनल करने में आजम खान को पूरी छूट दी है।
आज़म को मनाने की कोशिश
रामपुर सीट पर उम्मीदवार तय करने में फ्री हैंड देने को अखिलेश यादव के द्वारा आज़म खान को मनाने की एक और कोशिश माना जा रहा है। बता दें कि आज़म खान के जेल में रहने के दौरान इस तरह की खबरें सरेआम थीं कि आज़म खान अखिलेश यादव से नाराज हैं और जेल से बाहर आने के बाद वह समाजवादी पार्टी से किनारा कर सकते हैं।
लेकिन अखिलेश यादव ने पहले कपिल सिब्बल को टिकट देकर और रामपुर उपचुनाव में खुली छूट देकर आज़म खान को मनाने की कोशिश की है। कुछ दिन पहले अखिलेश यादव ने अस्पताल में जाकर आज़म खान से मुलाकात की थी।
आज़म खान रामपुर शहर सीट से 10 बार विधायक रह चुके हैं। उनके बेटे अब्दुल्ला आज़म स्वार टांडा से विधायक हैं। रामपुर उत्तर प्रदेश की एकमात्र ऐसी लोकसभा सीट है जहां पर मुसलिम मतदाताओं की संख्या 50 फीसद से ज्यादा है।
बीजेपी की ओर से मैदान में उतारे गए घनश्याम लोधी भी इस इलाके के पुराने नेता हैं और सपा, बसपा और इससे पहले भी बीजेपी में रह चुके हैं। मायावती की अगुवाई वाली बीएसपी ने रामपुर सीट पर उम्मीदवार नहीं उतारने का एलान किया है। कांग्रेस ने भी अब तक यहां उम्मीदवार के नाम का एलान नहीं किया है।
आज़मगढ़ सीट
दूसरी ओर, बीजेपी ने आज़मगढ़ की सीट से जाने-माने भोजपुरी कलाकार दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ को टिकट दिया है। बीएसपी ने यहां शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को उम्मीदवार बनाया है। आज़मगढ़ सीट पर बड़ी संख्या में मुसलमान और यादव मतदाता हैं। यह समीकरण समाजवादी पार्टी की ताकत रहा है। निरहुआ 2019 में अखिलेश यादव के हाथों पराजित हो गए थे। हालांकि उसके बाद भी उनकी इस इलाके में सक्रियता बनी रही।
इस सीट पर बीएसपी के उम्मीदवार शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली एक बड़े मुसलिम चेहरे हैं और बीएसपी के उम्मीदवार के तौर पर उन्हें यहां मुसलिम और दलित मतदाताओं का साथ मिल सकता है। इसलिए आज़मगढ़ सीट पर भी जोरदार चुनावी मुकाबला देखने को मिलेगा।
यह दोनों सीटें क्योंकि सपा के पास थीं इसलिए यहां फिर से जीत हासिल करने को लेकर सपा पर भारी दबाव है। जबकि बीजेपी को विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत मिली थी और ऐसे में उस पर भी यहां जीत हासिल करने का दबाव है।
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