हैदराबाद से बाहर अपना सियासी वज़ूद बनाने को हाथ-पांव मार रहे एआईएमआईएम के सरबराह असदउद्दीन ओवैसी इन दिनों उत्तर प्रदेश की सियासी ज़मीन को तेज़ी से नाप रहे हैं। जितनी जबरदस्त मीडिया कवरेज ओवैसी के दौरों को उत्तर प्रदेश में मिल रही है, उतनी दूसरी पार्टियों के नेताओं को नहीं। ऐसा क्यों है, यह सवाल भी लोग पूछ रहे हैं।
बहरहाल, ओवैसी उत्तर प्रदेश नापने निकले हैं तो यहां उनके बयानों को उनके विरोधी और उनके समर्थक सोशल मीडिया पर ख़ूब फैलाते भी हैं और इससे फ़ायदा ओवैसी को ही मिल रहा है। क्योंकि लंबे वक़्त तक वे हैदराबाद की चार मीनार से आगे नहीं बढ़ पाए थे लेकिन बीते कुछ सालों में उन्होंने कई राज्यों में सियासी पंख फैलाए हैं और बिहार में तो उनकी पार्टी के 5 विधायक विधानसभा में पहुंचने में कामयाब रहे हैं।
उत्तर प्रदेश की 20 फ़ीसदी मुसलिम आबादी के सियासी रहनुमा बनने की ख़्वाहिश लिए निकले ओवैसी ने अपने इरादे यह कहकर जता दिए हैं कि वे 100 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे और योगी आदित्यनाथ को इस बार उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री नहीं बनने देंगे।
जनसंख्या नियंत्रण क़ानून का विरोध
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के द्वारा बनाए गए भागीदारी संकल्प मोर्चा में शामिल ओवैसी ने योगी सरकार के तमाम फ़ैसलों पर भी नुक़्ताचीनी करनी शुरू कर दी है। जैसे- योगी सरकार के जनसंख्या नियंत्रण के मसौदे को लेकर उन्होंने कहा कि यह हिंदुस्तान के आईन के अनुच्छेद 21 के ख़िलाफ़ है। उन्होंने कहा कि वह इसके विरोध में विधि आयोग के सामने आपत्ति दर्ज कराएंगे।
ओवैसी ने जिस अंदाज में पश्चिमी उत्तर प्रदेश का तूफ़ानी दौरा किया है, उसने इस इलाक़े में बाक़ी दलों की पेशानी पर सियासी लकीरें खींच दी हैं। ओवैसी के पहुंचने पर एआईएमआईएम के कार्यकर्ता नारा लगाते हैं- देखो-देखो कौन आया, शेर आया-शेर आया।
मुसलमानों के मसलों को उठाया
ओवैसी ने अपने इस दौरे के दौरान भी लगातार मुसलमानों के मसलों को उठाया और कहा कि उत्तर प्रदेश में स्कूल छोड़ने वालों की सबसे ज़्यादा दर मुसलमानों की है, ग्रेजुएशन-पीजी में सबसे कम मुसलमान हैं, सबसे कम साक्षरता दर मुसलिम पुरूषों और महिलाओं की है और वे इन मुद्दों के साथ मैदान में उतरेंगे। इसके साथ ही वह दलितों और वंचित समाज की लड़ाई लड़ने की बात भी करते हैं।
मुसलिम मतों को लेकर मारामारी
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुसलिम मतों का बड़ा हिस्सा अखिलेश यादव की एसपी को मिलता रहा है। इस इलाक़े की कई विधानसभा सीटों पर मुसलमान मतदाता निर्णायक रोल अदा करते हैं। एसपी के अलावा कुछ हिस्सा आरएलडी, बीएसपी और कांग्रेस को भी मिलता है लेकिन ओवैसी इस बार इन जगहों पर मुसलिम मतों को छीनकर अपने पाले में कर सकते हैं और इसी वज़ह से विपक्षी राजनीतिक दल परेशान हैं जबकि बीजेपी के रणनीतिकार शायद ओवैसी के तूफ़ानी दौरों और इनमें भीड़ उमड़ने से ख़ूब ख़ुश हो रहे होंगे। इसका कारण आप जानते ही हैं। कुल मिलाकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुसलिम मतों को लेकर जबरदस्त मारामारी होने वाली है।
बिगाड़ सकते हैं खेल?
उत्तर प्रदेश में पिछड़ों की आबादी 45 फ़ीसदी, दलितों की 21 फ़ीसदी और मुसलमानों की आबादी 20 फ़ीसदी है। भागीदारी संकल्प मोर्चा के संयोजक ओम प्रकाश राजभर लगातार पिछड़ों-अति पिछड़ों-दलितों के बीच सक्रिय हैं और ओवैसी मुसलिमों के बीच। ऐसे में अगर यह मोर्चा बीजेपी विरोधी वोटों में सेंध लगाने में सफल रहा तो एसपी, बीएसपी और कांग्रेस का खेल ज़रूर बिगाड़ सकता है और कहना ग़लत नहीं होगा कि इसका सीधा फ़ायदा बीजेपी को होगा।
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