यूपी के आगामी विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी ने 100 सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान किया है। हालाँकि, ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम का यहाँ कोई विशेष जनाधार नहीं है। लेकिन 18 फ़ीसदी मुसलिम आबादी वाले यूपी में ओवैसी की आमद से कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या ओवैसी बीजेपी को फ़ायदा पहुँचाने के लिए आए हैं? क्या ओवैसी बीजेपी की बी टीम हैं? क्या ओवैसी मुसलमानों के वोट काटेंगे? क्या ओवैसी के आने से सेकुलर दल कमजोर होंगे? क्या यूपी के मुसलमान एआईएमआईएम को वोट करेंगे?
यूपी में बीजेपी की मदद करेंगे ओवैसी!
- उत्तर प्रदेश
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- 29 Mar, 2025

एक तरफ बिहार में उनकी उपस्थिति के कारण महागठबंधन की हार और भाजपा जदयू की सत्ता में वापसी हुई। दूसरी तरफ बंगाल में तृणमूल काँग्रेस के साथ मुसलिम एकजुटता के कारण भाजपा को पराजित करके ममता बनर्जी ने शानदार जीत दर्ज की। इसलिए यूपी में मुसलिम मतदाता चौकन्ना है। दलित, पिछड़े, गरीब, मजदूर, किसान सब भाजपा की योगी सरकार से नाराज हैं।
राजनीतिक विश्लेषक और सेकुलर दल एआईएमआईएम को वोटकटवा पार्टी मानते हैं। क्या ओवैसी यूपी में मुसलिम वोट में सेंधमारी करने में कामयाब होंगे? दरअसल, ओवैसी और उनकी पार्टी सीधे तौर पर मुसलमानों की राजनीति करती है। वे लगातार मुसलमानों के मुद्दों को उठाते रहे हैं। जिस तरह बीजेपी खुलेआम हिंदू सांप्रदायिक राजनीति करती है, उसी तरह एआईएमआईएम भी पिछले कुछ सालों से मुस्लिम कट्टरता की भाषा बोलती रही है। असदुद्दीन के भाई अकबरुद्दीन ओवैसी पर विभाजनकारी भड़काऊ बयान देने के आरोप हैं।
लेखक सामाजिक-राजनीतिक विश्लेषक हैं और लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में असि. प्रोफ़ेसर हैं।