मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार में हालांकि उत्तर प्रदेश को काफ़ी अहमियत दी गई है और सात मंत्री बनाए गए हैं लेकिन बावजूद इसके नाराज़गी की भी बात सामने आई है। सहयोगी दल निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने पूछा है कि अगर अनुप्रिया पटेल को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है तो उनके बेटे और सांसद प्रवीण निषाद को क्यों नहीं?
अनुप्रिया पटेल को मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी मंत्रिमंडल में जगह मिली थी लेकिन 2019 में दूसरे कार्यकाल में वह इससे बाहर रही थीं।
संजय निषाद ने कहा कि 2018 के उपचुनाव में प्रवीण निषाद ने योगी आदित्यनाथ की गोरखपुर सीट से जीत हासिल की थी और बाद में संत कबीर नगर सीट पर भी जीते थे, जिसे जीतना मुश्किल लग रहा था तो ऐसे में प्रवीण निषाद की लोकप्रियता को ध्यान में रखते हुए उन्हें कैबिनेट में जगह मिलनी चाहिए थी।
गोरखपुर सीट से उपचुनाव में प्रवीण निषाद की यह जीत काफी चर्चा में रही थी क्योंकि गोरखपुर सीट से योगी आदित्यनाथ लगातार कई चुनाव जीत चुके हैं और उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद ये सीट खाली हुई थी और माना जा रहा था कि यहां बीजेपी को ही जीत मिलेगी लेकिन प्रवीण निषाद समाजवादी पार्टी के टिकट पर जीत गए थे।
संजय निषाद ने एएनआई से कहा, “हमारे कार्यकर्ता बहुत ग़ुस्से में हैं क्योंकि कम सीटों पर प्रभाव रखने वालीं अनुप्रिया को जगह दे दी गई और निषाद समाज का प्रतिनिधित्व नहीं रहा। हमारे समाज को ऐसा लगता है कि बीजेपी ने हमें धोखा दिया है और लोग सड़कों पर आने के लिए तैयार हैं।”
नड्डा, शाह से मिले थे
उन्होंने कहा कि वह इस बारे में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह को भी बता चुके थे। यहां याद दिलाना होगा कि संजय निषाद और सांसद प्रवीण निषाद ने कुछ दिन पहले अमित शाह और जेपी नड्डा से मुलाक़ात की थी और माना जा रहा था कि प्रवीण निषाद को मोदी मंत्रिमंडल में एंट्री मिलेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
उत्तर प्रदेश की विधानसभा में ताज़ा हाल में निषाद पार्टी का एक विधायक है। संजय निषाद ने कुछ दिन पहले यह भी कहा था कि उत्तर प्रदेश में डिप्टी सीएम का पद उनकी पार्टी को मिलना चाहिए। संजय निषाद ने कहा कि निषाद मतदाता उत्तर प्रदेश की 160 विधानसभा सीटों पर प्रभाव रखते हैं।
पूर्वांचल में है असर
निषाद समाज (मल्लाह) के ज़्यादातर लोग मछली पकड़ने के काम से जुड़े हैं। गोरखपुर में इस समाज की तादाद 15 फ़ीसदी से ज़्यादा है। इसके अलावा महाराजगंज, जौनपुर और पूर्वांचल के कुछ और इलाक़ों में भी निषाद वोटरों का अच्छा प्रभाव माना जाता है। उत्तर प्रदेश में इस समुदाय की आबादी 13 फ़ीसदी मानी जाती है। देखना होगा कि क्या बीजेपी संजय निषाद को मना पाती है।
कुछ महीने पहले जब पुलिस ने मल्लाहों की नाव तोड़ दी थी तो कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा तुरंत प्रयागराज पहुंच गई थीं। एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी मल्लाहों के समर्थन में आवाज़ उठाई थी। बीजेपी को बैकफ़ुट पर आते हुए तुरंत इस मामले में जांच के आदेश देने पड़े थे।
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