कड़ाके की सर्दी में मेरठ झुलस गया। लपटें उठीं और शांत हो गया लेकिन तपिश बरकरार है। दंगों के लिए जाने जाने वाले इस शहर में इस बार दो धर्मों के लोग नहीं भिड़े बल्कि सत्ता का प्रतिनिधित्व करने वाला पुलिस-प्रशासन और मुसलिम समुदाय आमने-सामने आ गये। आख़िर क्या हुआ मेरठ में और क्यों हुआ उपद्रव? कौन हैं उपद्रव की साज़िश करने वाले या यह सिर्फ सत्ताधारियों के ख़िलाफ़ ग़ुस्सा था?
नागरिकता क़ानून: क्यों झुलसा मेरठ? किसकी थी साज़िश?
- उत्तर प्रदेश
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- 29 Dec, 2019

मेरठ में इस बार दो धर्मों के लोग नहीं भिड़े बल्कि सत्ता का प्रतिनिधित्व करने वाला पुलिस-प्रशासन और मुसलिम समुदाय आमने-सामने आ गये।
नागरिकता संशोधन क़ानून के संसद में पारित हो जाने के बाद दिल्ली, अलीगढ़, सहारनपुर सहित कई जगहों पर विरोध-प्रदर्शन के दौरान बवाल हो चुका था। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के कई शहर सुलग रहे थे। कई जगह हिंसक घटनाएं भी हुई थीं और पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव भी हुआ था। सरकारी और ग़ैर सरकारी संपत्तियों के नुक़सान के साथ लोग भी हताहत हुए थे। ऐसे में 20 दिसंबर, 2019 (शुक्रवार) को जुमे की नमाज़ के मद्देनजर मेरठ प्रशासन अलर्ट था। आशंका थी कि जुमे की नमाज़ के बाद मुसलिम समुदाय की ओर से विरोध-प्रदर्शन हो सकता है।