loader

यूपी चुनाव: जाट नेताओं से मिले अमित शाह, मनाने की कोशिश

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को पश्चिमी उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा के जाट नेताओं से मुलाकात की। शाह की कोशिश पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट समुदाय को फिर से बीजेपी के साथ लाने की है। जाट नेताओं की संख्या 250 के आसपास बताई गई है। 

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट समुदाय एक बड़ा और ताकतवर वोट बैंक है। 

पिछले तीन चुनावों में यानी 2014, 2017 और 2019 में जाट समुदाय बहुत मजबूती से बीजेपी के साथ खड़ा रहा है। लेकिन इस बार 1 साल तक चले किसान आंदोलन की वजह से बीजेपी को डर इस बात का है कि यह प्रभावशाली समुदाय उससे दूर जा सकता है। 

ताज़ा ख़बरें

इस बैठक में जाट समुदाय से आने वाले बड़े नेताओं के साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री भूपेंद्र चौधरी और केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान भी मौजूद रहे। 

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पहले चरण का मतदान 10 फरवरी को होना है। शाह कुछ दिन पहले इस इलाके में पड़ने वाली कैराना सीट पर पहुंचे थे और वहां डोर टू डोर प्रचार किया था। 

किसान आंदोलन के कारण पश्चिमी उत्तर प्रदेश बेहद गर्म रहा था और बीजेपी के नेताओं को तीखा विरोध झेलना पड़ा था लेकिन नवंबर में केंद्र सरकार ने बैकफुट पर आते हुए कृषि कानून वापस ले लिए थे। इसके बाद से बीजेपी ने डैमेज कंट्रोल की बहुत कोशिश की है। 

इस इलाके में समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) का भी गठबंधन है और किसान आंदोलन के दौरान आरएलडी ने यहां पर बड़े पैमाने पर किसान महापंचायतें की थीं। 

उत्तर प्रदेश से और खबरें

बीजेपी को डर है कि जाट समुदाय कहीं फिर से आरएलडी के पाले में ना चला जाए क्योंकि एक वक्त में जाटों का समर्थन आरएलडी को ही हुआ करता था। लेकिन 2013 में मुजफ्फरनगर में हुए सांप्रदायिक दंगों के बाद जाट बड़ी संख्या में बीजेपी के साथ चले गए और आरएलडी का किला यहां ध्वस्त हो गया। 

लेकिन इस बार आरएलडी को उम्मीद है कि जाट समुदाय फिर से उसके साथ आकर खड़ा होगा। देखना होगा कि जाट समुदाय किसे अपना समर्थन देता है। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

उत्तर प्रदेश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें