इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्रों ने गुरुवार-शुक्रवार की आधी रात को मशाल जुलूस निकाला। फीस बढ़ोतरी के खिलाफ इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्रों का आंदोलन पिछले दस दिनों से जारी है। छात्र फीस बढ़ोतरी वापस लेने और स्टूडेंट्स यूनियन के चुनाव कराने की मांग कर रहे हैं।
मीडिया रपटों के मुताबिक इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में 'छत्रसंघ संयुक्त संघर्ष समिति' के बैनर तले छात्र फीस वृद्धि का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि यूनिवर्सिटी ने अंडर ग्रेजुएट फीस में करीब 400 फीसदी की बढ़ोतरी की है। आठ दिन पहले कुछ छात्रों ने भूख हड़ताल शुरू की थी। गुरुवार को दो छात्रों मंजीत पटेल और राहुल सरोज की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
बढ़ी हुई फीस को वापस लेने की अपनी मांग पर दृढ़, छात्रों ने कैंपस में मार्च किया और फिर स्वतंत्रता आंदोलन के प्रतीक चंद्रशेखर आजाद की एक प्रतिमा के सामने इकट्ठा हुए। छात्रों ने स्वतंत्रता सेनानी की प्रतिमा पर शपथ ली कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
फीस वृद्धि आंदोलन के विरोध को इस सप्ताह की शुरुआत में प्रियंका गांधी वाड्रा का समर्थन मिला था।
छात्रों का समर्थन करते हुए, वाड्रा ने सोमवार को ट्वीट किया था कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा 400 प्रतिशत शुल्क वृद्धि बीजेपी सरकार द्वारा एक और युवा विरोधी कदम है।
उन्होंने कहा कि यूपी और बिहार के सामान्य परिवारों के बच्चे विश्वविद्यालय में पढ़ते हैं और "फीस बढ़ाकर, सरकार इन युवाओं से शिक्षा का एक बड़ा स्रोत छीन लेगी। सरकार को छात्रों की बात सुनने के बाद फीस बढ़ाने के फैसले को तुरंत वापस लेना चाहिए।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी छात्रों का समर्थन किया। छात्र संघों को लोकतंत्र का प्राथमिक हिस्सा बताते हुए, अखिलेश ने कहा कि यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन कर रहे छात्रों के साथ बीजेपी सरकार का व्यवहार निराशा का प्रतीक है। इसी तरह राष्ट्रीय लोकदल के जयंत चौधरी ने भी छात्र आंदोलन का समर्थन किया था।
अपनी राय बतायें