ओमिक्रॉन वैरिएंट के तेज़ी से फैलने के बीच इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने चुनाव आयोग और प्रधानमंत्री से अपील की है कि चुनाव को कुछ समय के लिए टाल दिया जाए और साथ ही रैलियों पर भी रोक लगा दी जाए। बता दें कि ओमिक्रॉन वैरिएंट की रफ़्तार बेहद तेज़ है और कुछ ही दिनों में यह कई राज्यों में पैर पसार चुका है।
इसके चलते फरवरी में कोरोना की तीसरी लहर आने का अंदेशा है और उसी वक़्त पांच राज्यों में चुनाव भी होने हैं। ये चुनावी राज्य उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर और पंजाब हैं।
कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा है कि विधानसभा चुनाव को एक या दो महीने के लिए टाल दिया जाए। जस्टिस शेखर यादव ने कहा, “अगर रैलियां नहीं रुकती हैं तो दूसरी लहर से भी ख़राब नतीजे होंगे।” उन्होंने कहा कि जान है तो जहान है।
याद दिला दें कि दूसरी लहर के वक़्त भी कई राज्यों में चुनाव प्रचार चल रहा था। उस वक़्त बड़े पैमाने पर संक्रमण फैला था और हज़ारों लोगों की जान गई थी। उसी वक़्त उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव भी हुए थे।
जस्टिस यादव ने यह बात रैलियों में उमड़ रही भारी भीड़ को देखते हुए कही। इन रैलियों में सोशल डिस्टेंसिंग शून्य होती है और ऐसे में निश्चित रूप से कोरोना की तीसरी लहर आने से इनकार नहीं किया जा सकता।
जस्टिस यादव ने चुनाव आयोग से अनुरोध किया कि वह विधानसभा चुनाव को लेकर होने वाली रैलियों और सभाओं पर रोक लगा दे और राजनीतिक दलों को निर्देश दे कि वे दूरदर्शन और अख़बारों के जरिये प्रचार करें। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 21 का हवाला देते हुए कहा कि सभी भारतीयों को जीने का हक़ है।
जस्टिस यादव ने कहा, “नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के मामले बढ़ रहे हैं और ऐसी संभावना है कि कोरोना की तीसरी लहर आ सकती है।” उन्होंने ओमिक्रॉन को लेकर मीडिया में चल रही ख़बरों का भी जिक्र किया।
जस्टिस यादव ने कहा, “ग्राम पंचायत चुनाव और बंगाल के विधानसभा चुनाव में बहुत लोग संक्रमित हुए और कई लोगों की जान भी गई।” उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में चुनावी रैलियों के दौरान कोरोना प्रोटोकॉल का पालन हो पाना अंसभव है।
ओमिक्रॉन के बढ़ते ख़तरे को देखते हुए ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरूवार शाम को एक अहम बैठक ली है।
कोर्ट की बात मानेंगे?
अदालत ने बेहद अहम अपील में अपनी बात कह दी है। अब देखना होगा कि चुनाव आयोग और प्रधानमंत्री क्या अदालत की इस अपील को सुनेंगे और कोई क़दम उठाएंगे। वरना चुनावी रैलियों की वजह से अगर कोरोना की तीसरी लहर आ गई तो लोगों को इससे जूझना ही पड़ेगा।
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