कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद को ओबीसी बताकर लोगों को ''गुमराह'' कर रहे हैं। वो जिस तेली जाति से हैं, उसे गुजरात सरकार ने सन् 2000 में उसे ओबीसी सूची में डाला। उसी मुद्दे को आगे बढ़ाते हुए सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने गुरुवार को वाराणसी में कहा- राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी के बारे में जो कहा, मैं कोई टिप्पणी नहीं कर रहा हूं लेकिन इतना कहूंगा कि बहुत से लोग केवल प्रमाण पत्र से ओबीसी हैं, जन्म से नहीं। अखिलेश ने एक तरह से राहुल की बात को आगे बढ़ाया।
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जो लोग सत्ता में बैठे हैं वो बाबा साहब भीमराव आंबेडकर जी के संविधान के तहत नहीं काम कर रहे हैं। लेकिन उन्हें संविधान से ही चलना होगा।
-अखिलेश यादव, सपा प्रमुख, वाराणसी में, 8 फरवरी 2024 सोर्सः पीटीआई
इस बीच राहुल गांधी और अन्य कांग्रेस नेता पीएम मोदी द्वारा अपने लोकसभा और राज्यसभा भाषणों में कही गई बातों को लेकर सरकार पर निशाना साध रहे हैं। अपने लोकसभा भाषण में, पीएम मोदी ने खुद को 'सबसे बड़ा ओबीसी' कहा था और कांग्रेस पर पिछड़े समुदायों के नेताओं के साथ व्यवहार करते समय दोहरे मानदंड अपनाने का आरोप लगाया।
मोदी ने कहा था- 'कांग्रेस पार्टी और यूपीए सरकार ने ओबीसी को न्याय नहीं दिया। कुछ दिन पहले, कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। 1970 में, जब वह बिहार के सीएम बने, तो उनकी सरकार को अस्थिर करने के लिए क्या नहीं किया गया? ...वे गिनती करते रहते हैं कि सरकार में कितने ओबीसी हैं। क्या आप (कांग्रेस) यहां (खुद की ओर इशारा करते हुए) सबसे बड़ा ओबीसी नहीं देख सकते?" पीएम मोदी ने सोमवार को लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर 'धन्यवाद प्रस्ताव' के जवाब में यह बात कही थी।
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