गुजरात कैडर के पूर्व आईएएस अफ़सर अरविंद कुमार शर्मा को उत्तर प्रदेश बीजेपी का उपाध्यक्ष बनाया गया है। शर्मा इस साल जनवरी में बीजेपी में शामिल हुए थे और उन्हें हाथों-हाथ एमएलसी बना दिया गया था।
तब यह चर्चा जोर-शोर से उठी थी कि शर्मा को योगी कैबिनेट में न सिर्फ़ शामिल किया जाएगा बल्कि वह डिप्टी सीएम भी बनेंगे। लेकिन इतने महीने गुजर जाने के बाद शर्मा को सरकार नहीं संगठन में जगह दी गई है।
योगी ने बनाई थी दूरी
शर्मा जब बीजेपी में शामिल हुए थे तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ग़ैर-मौजूदगी राजनीतिक विश्लेषकों को बहुत अख़री थी। एक ऐसा शख़्स जिसके बारे में कहा जाता है कि उन्हें ख़ुद मोदी ने भेजा है, उनके पार्टी में शामिल होने के मौक़े पर योगी क्यों नहीं आए। हालांकि इस मौक़े पर यूपी बीजेपी के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा मौजूद रहे थे।
उत्तर प्रदेश में एक पखवाड़े पहले जबरदस्त राजनीतिक अनिश्चितता का माहौल बन गया था। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष लखनऊ के दौरे पर आए थे और उन्होंने पार्टी और आरएसएस के पदाधिकारियों के साथ बैठक की थी।
बीजेपी के प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सिंह लखनऊ आए और विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित से मिले थे। राधा मोहन सिंह ने उन्हें एक लिफ़ाफा सौंपा था, इस लिफ़ाफे में क्या है, इसे लेकर कयास लगे थे। राधा मोहन सिंह की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से भी मुलाक़ात हुई थी और तब भी कई तरह की सियासी चर्चाएं हुईं थीं।
‘योगी के नेतृत्व में लड़ेंगे चुनाव’
तमाम सियासी चर्चाओं के बीच पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने बड़ा बयान दिया है। सिंह ने कहा है कि बीजेपी अगला विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में ही लड़ेगी। स्वतंत्र देव सिंह का बयान उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के उन बयानों के उलट है जिनमें वह कह चुके हैं कि पार्टी का चेहरा केंद्रीय नेतृत्व तय करेगा।
प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते उनके बयान के सियासी मायने हैं और यह संदेश भी है कि योगी के सियासी विरोधी किसी भ्रम में न रहें और चुनाव में योगी ही बीजेपी का चेहरा होंगे।
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