उत्तर प्रदेश सरकार भले ही कहे कि राज्य में ऑक्सीजन की कमी नहीं है और ऑक्सीजन की कमी की बात मीडिया से कहने वाले अस्पतालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी, सच इसके उलट है। मेरठ के दो अस्पतालों में मंगलवार को ऑक्सीजन की कमी से कुल मिला कर सात कोरोना मरीजों की मौत हो गई है।
निजी क्षेत्र के आनंद अस्पताल में तीन और केएमसी अस्पताल में चार कोरोना मरीजों की मौत हो गई क्योंकि ऑक्सीजन की कमी के कारण प्रेशर नहीं बना और मरीजों को ऑक्सीजन नहीं मिली।
आनंद अस्पताल के मेडिकल सुप्रिटेंडेंट डॉ. सुभाष यादव ने ऑक्सीजन की कमी की बात मानी। उन्होंने एनडीटीवी से कहा कि 'ऑक्सीजन की कमी लगातार बनी हुई है।'
उन्होंने कहा,
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हमें 400 ऑक्सीजन सिलिडरों की रोज़ाना जरूरत होती है, लेकिन हमें 90 सिलिंडर ही मिल रहे हैं। मंगलवार को हमारी ऑक्सीजन सप्लाई ख़त्म हो गई थी, इस वजह से अस्पताल में भर्ती तीन मरीजों की मौत हो गई।
डॉ. सुभाष यादव, मेडिकल सुप्रिटेंडेंट, आनंद अस्पताल, मेरठ
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कल हमारे पास दोपहर 12 बजे से रात 8 बजे तक ऑक्सीजन नहीं थी। अगर हमारे पास ऑक्सीजन होती तो हम उन्हें बचा लेते।
डॉ. सुनील गुप्ता, प्रमुख, केएमसी अस्पताल, मेरठ
क्या कहा नितिन गडकरी ने?
बता दें कि मंगलवार को केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने यह माना कि ऑक्सीजन, कोरोना टीका और अस्पतालों में बिस्तरों की कमी है। इससे लोगों की जान बचाने में दिक्क़त हो रही है, पर सरकार कोशिश कर रही है।
उन्होंने नागपुर में एक कोरोना सेंटर का उद्घाटन करते हुए कहा कि फिलहाल लोगों की जान बचाना ज़रूरी है और हम इस काम में लगे हुए हैं।
नितिन गडकरी ने कहा कि ऑक्सीजन नहीं थी, पर भिलाई स्टील प्लांट से वह मंगाई जा रही है। इसी तरह पहले ऑक्सीजन लाने के लिए टैंकर नहीं थे, लेकिन टैंकरों का इंतजाम किया जा रहा है।
क्या कहना है कि योगी आदित्यनाथ का?
रविवार को लखनऊ में एक बैठक हुई, जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आदेश दिया कि जो अस्पताल ऑक्सीजन की कमी की बात मीडिया से करेगा, उसके ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की जाएगी।
इस बैठक में मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ अधिकारियों, डिविज़नल कमिश्नरों और पुलिस महानिरीक्षकों को साफ निर्देश दिये हैं कि ऐसे अस्पतालों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई हो जो ऑक्सीजन की कमी के कारण मरीज़ों को अस्पताल से डिस्चार्ज कर रहे हैं और इस बारें में मीडिया को जानकारी दे रहे हैं।
उन अस्पतालों को भी नहीं बख्शा जायेगा जो ऑक्सीजन की कमी की वजह से रोगियों की भर्ती नहीं कर रहे हैं या फिर अपने अस्पताल में ऑक्सीजन नहीं होने का नोटिस चिपका रहे हैं। इसके अलावा इस बात की भी जाँच होगी कि कहीं ऐसे अस्पताल इस तरह की बात कर पैनिक तो नहीं फैला रहे हैं।
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