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तेलंगाना ने सीबीआई जाँच की आम सहमति वापस क्यों ली?

तेलंगाना सरकार ने उच्च न्यायालय से कहा है कि उसने राज्य में मामलों की जाँच के लिए सीबीआई को दी गई सामान्य सहमति वापस ले ली है। यह मामला तब सामने आया है जब कुछ दिन पहले ही बीजेपी ने उस मामले में सीबीआई जाँच की मांग की है जिसमें टीआरएस ने बीजेपी पर विधायकों की ख़रीद-फरोख्त करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है।

बीजेपी के राज्य महासचिव गुज्जुला प्रेमेंद्र रेड्डी ने इन आरोपों की सीबीआई जांच की माँग करते हुए तेलंगाना उच्च न्यायालय का रुख किया था कि उनकी पार्टी से जुड़े कुछ लोगों ने मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की टीआरएस के विधायकों को खरीदने की कोशिश की। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने अदालत के समक्ष दलील दी कि यह केसीआर की पार्टी द्वारा बीजेपी को बदनाम करने की साज़िश थी। 

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रिपोर्ट के अनुसार प्रेमेंद्र रेड्डी ने मांग की है कि सीबीआई या अदालत द्वारा आदेशित विशेष जाँच दल यानी एसआईटी जैसी 'तटस्थ एजेंसी' को मामले की जाँच करनी चाहिए। बीजेपी नेताओं ने टीआरएस पर विधायकों की कथित खरीद-फरोख्त का नाटक करने का आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग से भी संपर्क किया।

गुज्जुला प्रेमेंद्र रेड्डी की याचिका की सुनवाई के दौरान शनिवार को अतिरिक्त महाधिवक्ता ने उच्च न्यायालय को बताया कि राज्य सरकार ने अगस्त में ही केंद्रीय जाँच एजेंसी को दी गई सभी पिछली सामान्य सहमति वापस ले ली थी।

बता दें कि केंद्र सरकार पर एजेंसी के दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए कई राज्य सरकारों ने ऐसी आम सहमति को वापस ले ली है। ऐसा करने वाले राज्यों में आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, छ्त्तीसगढ़, केरल जैसे राज्य शामिल हैं। पहले महाराष्ट्र की पूर्ववर्ती उद्धव सरकार ने सीबीआई को दी गई आम सहमति वापस ले ली थी, लेकिन एकनाथ शिंदे सरकार ने उस फ़ैसले को पलटते हुए केंद्रीय जाँच एजेंसी को दी गई सामान्य सहमति को बहाल कर दिया है।
दरअसल, सीबीआई दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम द्वारा गठित एजेंसी है। सीबीआई और राज्यों के बीच सामान्य सहमति होती है, जिसके तहत सीबीआई अपना काम विभिन्न राज्यों में करती है, लेकिन अगर राज्य सरकार सामान्य सहमति को रद्द कर दे तो सीबीआई को उस राज्य में जांच या छापेमारी करने से पहले राज्य सरकार से अनुमति लेनी होगी।

चूँकि सीबीआई के पास केवल केंद्र सरकार के विभागों और कर्मचारियों पर अधिकार क्षेत्र है, यह राज्य सरकार के कर्मचारियों या किसी राज्य में हिंसक अपराध से संबंधित मामले की जांच तभी कर सकती है जब संबंधित सरकार इसकी सहमति देती है।

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बता दें कि कुछ दिन पहले ही तेलंगाना में सरकार चला रही तेलंगाना राष्ट्र समिति ने कहा था कि उसके चार विधायकों को पार्टी बदलने के लिए मोटी रकम देने की कोशिश की गई। इस मामले में पुलिस ने तीन लोगों को हिरासत में लिया। तेलंगाना में कुछ ही महीनों के भीतर विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं और टीआरएस का सीधा मुकाबला इस बार बीजेपी से होना है। 

बता दें कि ऑपरेशन लोटस को लेकर बीते दिनों दिल्ली और पंजाब की सियासत में अच्छा खासा हंगामा हो चुका है और इन राज्यों की सरकारों ने बीजेपी नेताओं पर उनकी सरकारों को गिराने की कोशिश करने का आरोप लगाया था। उससे पहले भी बीजेपी पर ऑपरेशन लोटस के जरिए विपक्षी दलों की राज्य सरकारों को गिराने का आरोप लगता रहा है। बीजेपी नेता डीके अरूणा ने कहा है कि इस मामले में केसीआर और टीआरएस ड्रामा कर रहे हैं।

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क़मर वहीद नक़वी
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