विभाजन को लेकर तथ्यों के कुछ नए दरवाजे इश्तियाक अमहद ने खोले हैं और इतिहास के बहुत से ऐसे तथ्यों से हमें अवगत कराया जिनकी जानकारी हममें से बहुतों को नहीं रही होगी।
देश के विभाजन और भारत-पाकिस्तान के रिश्तों पर शिक्षाविद प्रो. इश्तियाक अहमद और पूर्व पुलिस अधिकारी व हिंदी के मशहूर साहित्यकार विभूति नारायण राय की बातचीत के बाद अब पढ़िए मुसलिम उम्मा पर चर्चा का लिप्यांतर।
क्या पूरी दुनिया के मुसलमान एक हैं ? क्या मुस्लिम ‘उम्मा’ एक सच्चाई है ? क्या वाक़ई में ‘इस्लाम ख़तरे में है’ ? पूर्व आईपीएस/साहित्यकार विभूति नारायण राय के साथ चर्चा में इतिहासकार प्रो इश्तियाक़ अहमद, मानवाधिकार कार्यकर्ता जावेद आनंद और पसमांदा मुस्लिम विचारक फ़ैयाज़ अहमद फ़ैज़ी ।
तहरीक ए लब्बैक पाकिस्तान नामक देश पर छा जाने को आतुर यह काली आँधी किसी शून्य से नहीं उपजी है। इसका सीधा रिश्ता पाकिस्तान के जन्म से जुड़े तर्कों से है।
22 मई, 1987 को हुआ हाशिमपुरा कांड मुसलमानों की सामूहिक रूप से की गई स्वतंत्र भारत के इतिहास में हिरासती हत्याओं का सबसे बड़ा मामला था। इस पर विभूति नारायण राय ने 'हाशिमपुरा 22 मई' किताब लिखी है। पेश है इसकी समीक्षा।
क्या इमरान खान की सरकार अपने आख़िरी चरण में जा पहुँची है ? कराची में पुलिस और सेना सड़क पर आमने सामने क्यों आ गई है? पाकिस्तान का यह दौर कितने खून ख़राबे की ज़मीन तैयार कर रहा है और दुनियाँ पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा? बता रहे हैं दानिश्वर विभूति नारायण राय