भारतीय रिजर्व बैंक ने बड़े बैंक डिफॉल्टर्स को लेकर 8 जून को नियम बदल दिए। उन्हें फिर से लोन लेने और शेयर मार्केट में काम करने की छूट दे दी। पुराने लोन बट्टेखाते में डाले जा रहे हैं। कांग्रेस ने इस पर सवाल उठाए हैं।
भारत में कोविड के दौरान छोटे कारोबारियों को जो लोन बांटे गए थे, उनमें से अधिकांश डूब गए हैं या एनपीए बन गए हैं। इंडियन एक्सप्रेस ने गुरुवार 8 सितंबर को इस संबंध में एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट प्रकाशित की है।
छह महीने में तीन बैंक या वित्तीय कंपनियों का भट्ठा बैठ चुका है। डूब चुके पैसे वाली अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने की कोई योजना केंद्र सरकार के पास नहीं है।