कुणाल कामरा ने याचिका दाखिल कहा है कि वह एक राजनीतिक व्यंग्यकार हैं, जो अपनी सामग्री साझा करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर निर्भर हैं और इन नियमों के कारण उनकी सामग्री पर मनमाने ढंग से सेंसरशिप हो सकती है।
ग़ज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि वहां 9,700 से ज़्यादा फ़िलिस्तीनी मारे गए हैं जिनमें 4,800 बच्चे भी शामिल हैं। तो क्या ये आँकड़े ग़लत हैं? कफ़न में लिपटी लाश को हिलता हुआ क्यों बताया गया? जानें सच!
सोशल मीडिया पर फेक न्यूज़, नफ़रत वाले भाषण या इसी तरह की फे़क सूचनाओं पर कार्रवाई के लिए तमिलनाडु सरकार ने बड़ी पहल की है। जानिए, कैसे निपटेगा जाएगा ऐसी चीजों से।
फ़ेक न्यूज़ पर नियंत्रण ज़रूरी है या फिर फ़ेक न्यूज़ का फ़ैक्ट चेक करने वालों का? इस सवाल का जवाब जो भी लेकिन लगता है कि ऑनलाइन फ़ैक्ट चेक करने वालों के लिए परेशानी बढ़ने वाली है। जानें क्यों।
जनवरी में जब यह प्रस्ताव आया था तब इसकी खूब आलोचना हुई थी। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने इसका संदर्भ लेते हुए कहा था कि फेक न्यूज तय करने का अधिकार सरकार के हाथों में नहीं दिया जा सकता, इससे प्रेस की स्वतंत्रता पर खतरा पैदा होगा