क्या शोध अब विचारधारा के हिसाब से हो रहे हैं। क्या शिक्षक की विचारधारा के अनुकूल शोध हो रहे हैं। तमाम विश्वविद्यालयों में शोध भी अब विचारधारा की वस्तु हो गए हैं। जिम्मेदारी शिक्षकों पर ज्यादा है कि वो छात्र शोध का विषय चुनने की आजादी दें। लेकिन अमृतकाल में शोध भी विचारधारा से बंध गए हैं। क्या जमाना आ गया है। स्तंभकार अपूर्वानंद का यह लेख शोध पर एक शोध की तरह है, पढ़िएः