जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय बैंच ने कहा कि सरकार की तरफ से 1991 में अदालत को एक अंडरटेकिंग दी गई थी। उस अंडरटेकिंग के अनुसार पीड़ितों के लिए बीमा पॉलिसी तैयार नहीं की गई, कोर्ट ने बीमा पॉलिसी तैयार न करने के लिए सरकार को फटकार भी लगाई।
बीसवीं सदी की इस सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी के पीड़ितों को अब तक इंसाफ नहीं मिला है। लोग उचित मुआवजे के लिए आज भी संघर्ष कर रहे हैं। लेकिन गंभीर रूप से बीमार श्याम स्वरूप ब्यौहार इस गैस कांड के बाद ठीक हो गए थे। पढ़िए, उनके बारे में।
भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को 37 साल बाद भी इंसाफ़ नहीं मिल पाया है। सरकारें इस घटना से चेतने के बजाए बाक़ी विनाशकारी परियोजनाओं को पूरा करने के काम में जुटी हैं।