यूपी के कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर अपने बेबाक बयानों के लिए जाने जाते हैं। satyhindi.com के वरिष्ठ पत्रकार शीतल पी. सिंह से बातचीत में भी उन्होंने ऐसी विवादास्पद बातें कहीं।
शीतल - आप क्या सोचते हैं कि ये सरकार कब तक आपको बर्दाश्त कर पाएगी?राजभर - देखिए, सच कहना अगर बग़ावत है तो मैं बाग़ी हूँ। जब मैंने सरकार बनने के चार महीने बाद बोलना शुरू किया कि थानों में भ्रष्टाचार बढ़ गया है, तो लोगों ने मुझसे कहा कि आप ग़लत बोल रहे हैं।शीतल - ये बढ़ा क्यों, आपको क्यों लगा कि थानों में भ्रष्टाचार बढ़ गया है?राजभर - इसका कारण यह है कि जब सीएम योगी आदित्यनाथ ने मंडलीय समीक्षा की तो सीएम ने कहा कि अधिकारी किसी जनप्रतिनिधि की बात ना सुनें, अपने मन से काम करें। इससे अधिकारियों पर अंकुश ख़त्म हो गया और वे मनमानी करने लगे। समीक्षा बैठक में सांसद, विधायक भी उपस्थित होते थे। बीजेपी के सांसद, विधायक मुझे बताते हैं कि उनसे कहा गया है कि कि वे थानों, ब्लॉक, तहसील में न जाएँ, सिर्फ़ संगठन को मजबूत करें। इसी वजह से आज हम कह रहे हैं कि हम संगठन को तभी मजबूत कर सकते हैं जब लोगों की मदद करें। लेकिन पाबंदी है कि अाप मदद मत करो, संगठन को मजबूत करो।
योगी से बातचीत हुई?
शीतल - आपके बीच-बीच में बयान आते रहते हैं, क्या कभी मुख्यमंत्री जी ने आपसे बात की कि आप ऐसे बयान क्यों देते हैं?राजभर - जब 28 जनवरी 2018 को जब हमने बनारस में कार्यक्रम किया तो सीएम ने बुलाया। मेरी उनसे बात हुई तो उन्होंने कहा कि आपने पूरी कैबिनेट को कठघरे में खड़ा कर दिया है। इस पर मैंने उनसे कहा कि मैं आपसे दस बार कह चुका हूँ कि थानों की हालत बद्तर है, ग़रीब, मजदूर लोग थाने में जा रहे हैं, खुलेआम उनसे रिश्वत माँगी जा रही है। बड़ी उम्मीद से उन्होंने हमारा साथ दिया था। इस पर सीएम ने कहा कि नहीं, ऐसी बात नहीं है। मैंने कहा कि भगवान राम पर जब लांछन लगा था तो वे भेष बदलकर जनता के बीच गए और सही बात की जानकारी ली। मैंने कहा, आप तो सीएम हैं, आप पता कर लीजिए इस बारे में लेकिन वे नहीं गए। फिर उन्होंने 10-12 विधायकों की एक कमिटी बनाई, मेरे साथ भी मंत्री होने के कारण कमिटी में 14 विधायक थे। इन सभी विधायकों ने मुझे लिखकर दिया कि हमारी बात नहीं सुनी जा रही है, डीएम नहीं सुन रहा है। हमने बैठक में सीएम को अपनी बात बताई तो उन्होंने कहा कि मैं इसे दिखवाता हूँ। लेकिन कुछ नहीं हुआ। अगले महीने फिर बैठक हुई तो हमने कहा कि पिछली समस्याओं का समाधान नहीं हुआ है, समाधान होने पर ही आगे बात करेंगे। लेकिन उधर से कोई जवाब नहीं मिला। एक तो यह मामला अटक गया। दूसरा, इन्होंने एससी-एसटी ऐक्ट पर जल्दी में प्रस्ताव लाकर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को पलट दिया। विवाद एक आदमी को लेकर हो सकता है।जब मायावती जी की सरकार थी तो वे एक अध्यादेश लाईं थीं कि बिना सीओ की जाँच के गिरफ़्तारी नहीं होगी। तो इन्हें ऐसी क्या जल्दी थी कि अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को पलट दिया। इस पर हमने सरकार से कहा कि हम कोर्ट के फ़ैसले के साथ हैं।
शीतल - आप बड़ी बात कह रहे हैं, इससे दलित आपसे नाराज हो सकते हैं?राजभर - कोई दिक्क़त नहीं। देखिए, हम वोट की राजनीति नहीं करते। लोग वोट की राजनीति करते हैं, जब मैं चुनाव लड़ रहा था तो उस समय भी मैंने कहा कि मेरी विचारधारा को वोट देना जाति के नाम पर वोट मत देना। शीतल - बुलंदशहर के मामले में आपने जो स्टैंड लिया है, उससे आप अल्पसंख्यकों के हीरो बन गए हैं।राजभर - देखिए, बुलंदशहर ही नहीं, जब अयोध्या में धर्मसभा हुई तब भी मैंने कहा कि जब मामला न्यायालय में विचाराधीन है, तो या तो कोर्ट का फ़ैसला आए या इस मामले में दोनों पक्ष आपस में बैठकर रज़ामंदी करें। ये धर्मसभा करके क्यों माहौल को बिगाड़ने की साज़िश हो रही है। वहाँ धारा 144 लगी हुई है तो इतनी बड़ी भीड़ क्यों जा रही है। शीतल - आप ऐसे समाज के नेता हैं जिसकी आबादी यूपी में 1-2 करोड़ होगी, क्या आप ऐसा नेता बनना चाहते हैं जिसका अल्पसंख्यकों, पिछड़ों में बड़ा नाम हो और आप मायावती, अखिलेश का विकल्प बनें, ऐसा है क्या?राजभर - देखिए, मैं उनकी राजनीति करता हूँ जो आबादी के बाद से अब तक उपेक्षित हैं, वंचित हैं। हाँ, ये ज़रूर है कि हम कमजोर हैं तो पहले मुझे एक जाति का नेता बनाया गया था। जब भी कोई पार्टी बनती है तो पहले वह एक जाति को जोड़ती है। कांशीराम ने जी जब बसपा बनाई तो उन्होंने दलितों को जाेड़ा। मुलायम सिंह ने सपा बनाई तो यादवों को जोड़ा।
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