देश के शीर्ष पहलवान बजरंग पुनिया और साक्षी मलिक ने बृजभूषण शरण सिंह के बेटे करण भूषण सिंह के उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ के अध्यक्ष चुने जाने के बाद अपना विरोध फिर से शुरू करने की चेतावनी दी है। दोनों इस बात से भी नाखुश हैं कि बृजभूषण के क़रीबी संजय सिंह यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग द्वारा निलंबन हटाए जाने के बाद डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष के रूप में लौट आएँगे और बृजभूषण के बेटे का अब यूपी में संघ अध्यक्ष पर कब्जा हो गया है।
उनकी आपत्ति इस बात को लेकर है कि राज्य स्तर पर और डब्ल्यूएफआई में निर्णय लेने की शक्तियां बृजभूषण के वफादारों के हाथों में हैं, साक्षी और बजरंग ने सोशल मीडिया पर अपना विरोध प्रदर्शन फिर से शुरू करने की धमकी दी। साक्षी मलिक ने गुरुवार को खुला ख़त लिखा है। इसमें उन्होंने पूछा है कि गंभीर गड़बड़ियों पर मंत्रालय के निलंबन के बाद भी डब्ल्यूएफ़आई को फिर से बहाल कैसे कर दिया गया।
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बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली महिला पहलवान यह कहते हुए चुनाव के दौरान से विरोध करती रही हैं कि फेडरेशन बॉडी पर बृजभूषण की पकड़ नहीं होनी चाहिए। महिला पहलवानों के कड़े विरोध को देखते हुए बृजभूषण तो चुनाव में नहीं खड़े हुए, लेकिन उनका क़रीबी चुनाव में खड़ा भी हुआ और जीत भी गया।
डब्लूएफआई के नए अध्यक्ष का चुनाव होने और इसमें संजय सिंह के चुने जाने के बाद पहलवान बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। उन्होंने कहा था कि बहुत साल लगे हमें हिम्मत जुटाने में तब जाकर हमने रेसलिंग फेडरेशन के अध्यक्ष बृजभूषण के खिलाफ लड़ाई शुरू की थी लेकिन जो चुनाव नतीजे आए हैं उससे हम निराश हैं। उन्होंने कहा था कि वह बृजभूषण का राइट हैंड है जो उसे अपने बेटे से भी अधिक प्रिय है और उसका बिजनेस पार्टनर भी है, वह फेडरेशन का अध्यक्ष बन गया।
बृजभूषण शरण सिंह की वजह से विवादों में रहे भारतीय कुश्ती महासंघ के चुनाव के कुछ दिन बाद ही दिसंबर महीने में नये अध्यक्ष संजय सिंह के नेतृत्व वाले कुश्ती महासंघ को निलंबित कर दिया गया था।
मंत्रालय ने अपने फैसले की घोषणा करते हुए कहा था कि डब्ल्यूएफआई ने मौजूदा नियमों और विनियमों के प्रति पूरी तरह से उपेक्षा की है।
एक आधिकारिक विज्ञप्ति में खेल मंत्रालय ने कहा था कि राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं की घोषणा जल्दबाजी में की गई और उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। मंत्रालय ने पूर्व प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के करीबी सहयोगी संजय सिंह की अध्यक्षता वाली नई डब्ल्यूएफआई समिति पर 'स्थापित कानूनी और प्रक्रियात्मक मानदंडों के प्रति घोर उपेक्षा' करने का आरोप लगाया गया।
अब विरोध करने वाले पहलवानों में से बजरंग पूनिया ने इंस्टाग्राम पर पोस्ट किए गए एक वीडियो बयान में कहा है, 'अभी 2-3 दिन पहले बृजभूषण के बेटे यूपी कुश्ती संस्था के अध्यक्ष बन गए, जबकि उन्होंने कहा था कि उनके परिवार से कोई भी कुश्ती प्रशासन में नहीं आएगा। सरकार ने वादा किया था कि बृजभूषण या उनके रिश्तेदार या सहयोगी खेल पर शासन नहीं करेंगे।'
खिलाड़ी ने सरकार से शीघ्र निर्णय लेने का अनुरोध किया, नहीं तो वे फिर से विरोध प्रदर्शन शुरू करने के लिए मजबूर होंगे। उन्होंने कहा, 'हम पहलवान उन सभी लोगों से बात करेंगे जो हमारा समर्थन करते हैं - किसान समूह, खाप पंचायतें, श्रमिक संघ और महिला संगठन - और अगले दो से तीन दिनों में निर्णय लेंगे। मैं सरकार से अनुरोध करता हूं कि हमें फिर से विरोध प्रदर्शन शुरू करने के लिए मजबूर न करें।'
बृजभूषण पर छह महिला पहलवानों द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोप हैं। साक्षी और बजरंग ने दो बार की विश्व चैंपियनशिप पदक विजेता विनेश फोगाट के साथ मिलकर पिछले साल उनकी गिरफ्तारी की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया था।
बता दें कि बड़ी मुश्किल से कोर्ट के हस्तक्षेप से एफ़आईआर दर्ज हो पाई, लेकिन गिरफ़्तारी नहीं हो पाई। उनको उनकी पार्टी से निकाला तक नहीं गया। ऊपर से वह यह तक चेताते रहे कि 'किसमें हिम्मत है मेरा टिकट काटने की'।
बृजभूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। महिला पहलवानों से यौन उत्पीड़न को लेकर दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में कैसरगंज से बीजेपी सांसद बृजभूषण पर यौन उत्पीड़न, छेड़छाड़ और महिला पहलवानों का पीछा करने का आरोप लगाया गया था। दिल्ली पुलिस ने अदालत से कहा है कि आरोपी बृजभूषण सिंह ने महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न करने का कोई मौका नहीं छोड़ा। दिल्ली पुलिस ने कहा कि ताजिकिस्तान में एक कार्यक्रम के दौरान बृजभूषण सिंह ने एक महिला पहलवान को जबरन गले लगाया और बाद में अपने कृत्य को यह कहकर सही ठहराया कि उन्होंने ऐसा एक पिता की तरह किया।
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