ठीक दो साल पहले जम्मू-कश्मीर के बेहद प्रतिष्ठित पत्रकार और ‘राइजिंग कश्मीर’ जैसे लोकप्रिय अखबार के प्रधान संपादक शुजात बुखारी की श्रीनगर स्थित उनके दफ्तर के पास नृशंस हत्या कर दी गई थी। लंबे समय तक ‘कश्मीर टाइम्स’ और ‘द हिन्दू’ जैसे बड़े और स्थापित अखबारों के लिए काम करने के बाद शुजात ने मार्च, सन् 2008 में ‘राइजिंग कश्मीर’ नाम से नये अखबार का प्रकाशन शुरू किया था। बहुत कम समय में ‘राइजिंग कश्मीर’ ने कश्मीर में अपनी पहचान बना ली थी और उसे जम्मू-कश्मीर के बड़े अखबारों में शुमार किया जाने लगा था।

जम्मू-कश्मीर के प्रतिष्ठित पत्रकार और ‘राइजिंग कश्मीर’ के प्रधान संपादक शुजात बुखारी की हत्या को दो साल हो चुके हैं। कैसी विडम्बना है कि हत्या के दो साल बाद भी देश के एक जाने-माने संपादक और वह भी एक कश्मीरी लेखक-पत्रकार के हत्यारों को चिन्हित और दंडित करने में हमारी व्यवस्था कामयाब नहीं हो सकी!
एक पत्रकार और टिप्पणीकार के रूप में पहले से ही प्रतिष्ठित शुजात को ‘राइजिंग कश्मीर’ ने और ऊंचाई दी। उन्हें देश के अंदर और बाहर भी कश्मीर मामलों के बेहद संजीदा और समझदार लेखक-पत्रकार के रूप में जाना जाने लगा। जम्मू-कश्मीर और उसके बाहर उनकी बढ़ती लोकप्रियता अगर उनके पाठकों-श्रोताओं के लिए खुशगवार थी तो कुछ के लिए वह नागवार भी रही होगी।