स्कूलों में सूर्य नमस्कार कराने के आदेश का ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने आधिकारिक तौर पर विरोध किया है। योग गुरु रामदेव हैदराबाद में 3 जनवरी को उस सरकारी प्रोग्राम में मौजूद थे, जहां से सूर्य नमस्कार की शुरुआत हुई थी, जबकि 2015 में इन्हीं रामदेव ने कहा था कि वेदों में सूर्य नमस्कार का जिक्र नहीं है। सोशल मीडिया पर गैर मुस्लिमों ने भी सवाल किए हैं कि आजादी की लड़ाई से सूर्य नमस्कार का क्या संबंध है। किसी स्वतंत्रता सेनानी ने अपने संघर्ष के दौरान कभी सूर्य नमस्कार का जिक्र नहीं किया। 3 जनवरी को, आयुष मंत्रालय ने योगासन के अभ्यास के माध्यम से फिटनेस की संस्कृति बनाने और स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 75 करोड़ सूर्य नमस्कार पहल शुरू की थी।
हैदराबाद में केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने भारत की आजादी के 75 साल "आजादी का अमृत महोत्सव" के तहत इस कार्यक्रम में शिरकत की। इससे पहले सभी राज्यों को पत्र लिखा गया कि स्कूलों और कॉलेजों में 1 जनवरी से 7 जनवरी के बीच सामूहिक सूर्य नमस्कार का आयोजन किया जाना चाहिए।
Compulsory #SuryaNamaskar program in schools is unconstitutional: @Dr_SQRIlyas https://t.co/ODoxZ20jbX pic.twitter.com/dy7weveEK3
— Welfare Party of India (@WelfarePartyIN) January 4, 2022
काबिलेगौर तथ्य
योग गुरु रामदेव इस समय जिस तरह सूर्य नमस्कार का प्रचार कर रहे हैं, कभी उन्होंने कहा था कि सूर्य नमस्कार योग का हिस्सा नहीं है। जबकि राष्ट्रीय योगसन फेडरेशन इसे योग का हिस्सा मानता है। उसका कहना है कि यह प्राणायाम है। दरअसल, 2015 में योग दिवस से पहले सूर्य नमस्कार का आयोजन कतिपय संगठनों ने किया था। जबकि रामदेव उस समय योग दिवस सरकार से घोषित करवा चुके थे। सूर्य नमस्कार कराने वाले संगठनों ने इसे योग बताना शुरू किया। रामदेव को लगा कि उनके योग दिवस के कार्यक्रम से पहले यह आयोजन उनकी ब्रान्डिंग को नुकसान पहुंचाएगा। तब उन्होंने कहा था कि सूर्य नमस्कार योग का हिस्सा नहीं है।“
'आजतक' पर 10 जून 2015 को रामदेव ने कहा था कि वेदों में भी सूर्य नमस्कार का जिक्र नहीं है। उन्होंने कहा था कि सूर्य नमस्कार के आसन में सूर्य को नमस्कार नहीं किया जाता है।
राष्ट्रीय योगासन स्पोर्ट्स फेडरेशन (एनवाईएसएफ) ने कहा है कि सूर्य नमस्कार प्राचीन भारतीय संतों द्वारा विकसित आध्यात्मिक और शारीरिक अभ्यास दोनों का एक अनूठा संयोजन है। यह मंत्रों और लयबद्ध श्वास (प्राणायाम) का जप करते हुए आठ अलग-अलग मुद्राओं की कार्डियोवस्कुलर कसरत भी है।
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