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यति नरसिंहानंद पर एक और एफआईआर, लेकिन गिरफ्तारी कब होगी?

उत्तराखंड पुलिस ने पिछले महीने हरिद्वार में 'धर्म संसद' के आयोजक यति नरसिंहानंद के खिलाफ मामला दर्ज किया है। धर्म संसद में इसके नेतृत्व में आयोजित कार्यक्रम में कुछ कथित हिंदू धर्मगुरुओं ने लोगों से मुसलमानों के जनसंहार के लिए हथियार उठाने का आग्रह किया था। 

नरसिंहानंद, जिस पर पहले से ही भड़काऊ भाषणों के साथ हिंसा भड़काने का आरोप लग चुका है, धर्म संसद में बोलने वालों में से एक था। वह चार दिन बाद दर्ज की गई प्राथमिकी (प्रथम सूचना रिपोर्ट) में नामित होने वाला पांचवा व्यक्ति है। इस संबंध देश के तमाम बुद्धिजीवियों और सिविल सोसायटी के एक्टिविस्टों ने सरकार पर दबाव बनाया था। प्राथमिकी में नामित अन्य लोगों में सागर सिंधु महाराज, 'साध्वी अन्नपूर्णा' के रूप में पहचानी गई एक महिला और धर्म दास नाम के एक व्यक्ति के साथ-साथ वसीम रिज़वी उर्फ ​​जितेंद्र त्यागी भी शामिल हैं। इन सभी पांचों पर धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और पूजा स्थल को अपवित्र करने का आरोप लगाया गया है।

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Another FIR on Yeti Narasimhanand in Haridwar Dhram Sansad event, but when will the arrest take place? - Satya Hindi

17 से 20 दिसंबर तक आयोजित इस आयोजन की वीडियो क्लिप्स सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। टेनिस की दिग्गज खिलाड़ी मार्टिना नवरातिलोवा जैसी तमाम हस्तियों ने ऐसे भारतीय कार्यक्रमों पर चिन्ता जताते हुए तीखी आलोचना की थी।

तृणमूल कांग्रेस के नेता और आरटीआई कार्यकर्ता साकेत गोखले द्वारा दी गई एक पुलिस शिकायत के अनुसार, धर्म संसद में हिंदू रक्षा सेना के प्रबोधानंद गिरी, बीजेपी महिला विंग की नेता उदिता त्यागी और बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय शामिल थे। इसमें से अश्विनी उपाध्याय जो दिल्ली में वकील भी है, मुसलमानों के खिलाफ अभद्र भाषा के इस्तेमाल पर जमानत पर है।

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उस समय मीडिया से बात करते हुए, प्रबोधानंद ने कहा था: "मैं शर्मिंदा नहीं हूं... मैं पुलिस से नहीं डरता। मैं अपने बयान पर कायम हूं... अगर कोई मुझे मारने की कोशिश करता है, तो मैं लड़ूंगा। मुझे कानून का डर नहीं है।"

यह वही प्रबोधानंद हैं जिनका पैर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री छूते हैं। बीजेपी के तमाम नेताओं से उनके संबंध हैं। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ भी उनके फोटो हैं। हरिद्वार में 'धार्मिक' सम्मेलन के आपत्तिजनक भाषण पर देश के शीर्ष वकीलों में से 76 ने भारत के चीफ जस्टिस एन.वी. रमना को लिखा और सुप्रीम कोर्ट से खुद इस मामले को देखने के लिए कहा। उन लोगों चीफ जस्टिस से आग्रह किया कि वह इस मामले का स्वतः संज्ञान लें। इन लोगों ने कहा कि "... धर्म संसद के दौरान दिए गए भाषणों में सिर्फ अभद्र भाषा ही नहीं हैं बल्कि मुस्लिम समुदाय की हत्या के लिए खुला आह्वान किया गया ... यह केवल हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए गंभीर खतरा है बल्कि लाखों मुस्लिम नागरिकों के जीवन को भी खतरे में डालने वाला है।"

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क़मर वहीद नक़वी
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