राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उससे जुड़े संगठन भले ही यह दावा करें कि रामलला स्वयं बाबरी मसजिद में प्रकट हुए थे, सच यह है कि 22 दिसंबर 1949 की रात को 5 लोगों ने एक साज़िश के तहत मसजिद के अंदर घुस कर मूर्तियाँ रख दी थीं।