करतारपुर साहिब तक कॉरिडोर खुलने के पहले और उसके बाद राजनीतिक गलियारों में ख़ूब गरमा गरम बहस हुई। सिद्धू पाकिस्तान जा कर और वहाँ के सेनाध्यक्ष को गले लगा कर विवादों में घिरे जो उनके लिए नयी बात नहीं है। इमरान ख़ान ने शाबाशी बटोरी तो अब कश्मीरी हिन्दुओं ने शारदापीठ, जो मुज़फ़्फ़राबाद (पीओके) में स्थित है, तक कॉरिडोर बनाने की बात उठानी शुरू की है। क़रीब 200 कश्मीरी हिन्दुओं ने अनंतनाग में पिछले दिनों इसके लिए एक प्रदर्शन भी किया।
करतारपुर कॉरिडोर खुला तो पीओके में शारदापीठ क्यों नहीं?
- विचार
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- 9 Jan, 2019
करतारपुर साहिब तक कॉरिडोर खुलने के बाद अब कश्मीरी हिन्दुओं ने पीओके में शारदापीठ तक कॉरिडोर बनाने की बात उठानी शुरू की है। तो क्या यह करतारपुर साहिब कॉरिडोर जितना आसान होगा?

यह जगह नीलम नदी के किनारे लाइन ऑफ़ कंट्रोल के बिल्कुल नज़दीक है। शारदापीठ कश्मीरी हिन्दुओं के लिए तीन मुख्य तीर्थ स्थानों में गिना जाता है। अन्य दो स्थान अमरनाथ मंदिर और मार्तंड सूर्य मंदिर हैं। माँ शारदा कश्मीरी पंडितों की कुलदेवी मानी जाती हैं। कश्मीरी हिंदू ऐसा भी मानते हैं कि कश्मीर में यह ख़ून-ख़राबा उनके कुलदेवी की उपेक्षा और अपमान के कारण हो रहा है। शारदापीठ एक खंडहर में तब्दील हो चुका मंदिर है जिसे कुछ इतिहासकार कुषाण काल में पहली सदी के दौरान बनाया हुआ मानते हैं। इसे 18 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। कलहन, आदिशंकराचार्य तथा कुमारजीव जैसे विद्वान यहाँ से जुड़े रहे हैं। राजतरंगिणी से लेकर अल बरूनी की यात्रा वृतांतों में इसका उल्लेख मिलता है।
- पर यह मामला पेचीदा है। करतारपुर जहाँ पर है उस जगह की सम्प्रभुता पर विवाद नहीं रहा है। भारत उसे पाकिस्तान का हिस्सा मानता है। बीच में अंतराष्ट्रीय सीमा है जो पूरी तरह से कँटीले तारों से घेरा हुआ है। अभी पाकिस्तान ने करतारपुर कॉरिडोर की व्यवस्था चलाने के लिए भारत सरकार को एक चौदह सूत्री प्रस्ताव भेजा है जिस पर सहमति बनना कोई मुश्किल नहीं है।
पर यह जो शारदापीठ है उसके और भारत के बीच कोई अन्तराष्ट्रीय सीमा नहीं है। वहाँ पर लाइन ऑफ़ कंट्रोल है। अन्तराष्ट्रीय सीमा और और लाइन ऑफ़ कंट्रोल के बीच बुनियादी फ़र्क़ यह है कि लाइन ऑफ़ कंट्रोल की कोई आधिकारिक मान्यता नहीं होती। वहाँ सीमा बाड़ नहीं लगाए जा सकते। अन्तराष्ट्रीय सीमाओं पर वॉच टावर होते हैं, पट्रोलिंग कर सकते हैं। लेकिन लाइन ऑफ़ कंट्रोल पर दोनों तरफ़ सेनाएँ बंकरों में रहती हैं और आपसी गोलीबारी एक सामान्य बात है।
भारतीय कूटनीति के लिए बड़ा सिरदर्द
शारदापीठ तक कॉरिडोर बनाने के लिए भी इमरान सरकार राज़ी हो सकती है। इमरान ख़ान ने कहीं ऐसा एक बयान दिया भी है। लेकिन यह भारतीय कूटनीति का एक बड़ा सिरदर्द भी साबित होगा।