उस चिट्ठी में आख़िरकार क्या है, जिस पर राजस्थान के उप मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट आग बबूला हैं? उनके गुस्से का आलम यह है कि वह अपने समर्थक विधायकों के साथ दिल्ली पहुँच गए और पार्टी हाई कमान से इसकी शिकायत की है।
दरअसल, राजस्थान कांग्रेस के मौजूदा संकट की शुरुआत एक चिट्ठी से ही हुई है। सचिन पायलट को राज्य आतंकवाद निरोधी दस्ता यानी एटीएस और स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप यानी एसओजी से एक चिट्ठी 10 जुलाई को मिली।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हरिप्रसाद की ओर से जारी इस ख़त में सचिन पायलट से कहा गया है कि धारा 124 ए, 120 बी के तहत मामले की जाँच की जा रही है और इसमें उनका बयान दर्ज कराना है। इसलिए वह जयपुर स्थित सिविल लाइन्स कार्यालय में मौजूद होकर अपना बयान दर्ज कराएं।
जिस सरकार में सचिन पायलट उप मुख्यमंत्री हैं, उसी की पुलिस ने उन्हें यह चिट्ठी जारी की है। वह इससे बुरी तरह गुस्साए हुए हैं।
गहलोत का आरोप
मुख्यमंत्री ने यह एलान कर सबको चौंका दिया था कि बीजेपी कांग्रेस के कुछ विधायकों की ख़रीद-फ़रोख़्त में लगी है ताकि राज्यसभा चुनाव को प्रभावित किया जा सके। पायलट का आरोप है कि यह उनके समर्थकों को निशाना बनाने और उनके कैंप को कमज़ोर करने की कोशिश के तहत हो रहा है।
गहलोत ने यह आरोप भी लगाया है कि बीजेपी विधायकों की खरीद फ़रोख़्त कर सरकार गिराना चाहती है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह उन्हें बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं और उन्हें पद से हर कीमत पर हटाने की जुगत में हैं।
पायलट इससे इतने आहत हुए कि वह सदल-बल दिल्ली पहुँच गए और अहमद पटेल से मुलाक़ात कर इसकी शिकायत की। उन्होंने कहा कि जानबूझ कर उन्हें राज्य की राजनीति में हाशिए पर धकेला जा रहा है और उनके समर्थकों को परेशान किया जा रहा है।
इसके बाद रविवार को राजस्थान पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप की तरफ से कांग्रेस विधायकों, सीएम, डिप्टी सीएम को नोटिस भेजे जाने पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सफाई दी है।
कांग्रेस अशोक गहलोत से नाराज है क्योंकि विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले में सचिन पायलट को पूछताछ के लिए नोटिस जारी किया गया है। इससे पार्टी की फजीहत हो रही है। लेकिन हाई कमान फ़िलहाल गहलोत को पद से हटाना भी नहीं चाहता है।
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