कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली उसकी सरकार को गिराने की कोशिश हो रही है। राजस्थान की विधानसभा में कांग्रेस के चीफ़ व्हिप महेश जोशी ने इस बारे में राज्य के एंटी करप्शन ब्यूरो के प्रमुख को पत्र लिखा है।
पत्र में उन्होंने लिखा है, ‘मध्य प्रदेश, गुजरात और कर्नाटक की तरह राजस्थान में हमारे और सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायकों को पैसे की ताक़त का लालच देकर सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की जा रही है।’
राज्यसभा चुनाव से पहले जोड़-तोड़
राजस्थान में राज्यसभा की 3 सीटों के लिए 19 जून को चुनाव होना है। इन 3 में से 2 सीटों पर कांग्रेस और 1 सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार की जीत तय मानी जा रही है। लेकिन बीजेपी ने 2 उम्मीदवार खड़े करके चुनाव में गहमागहमी पैदा कर दी है।
राजस्थान में विधानसभा की 200 सीटें हैं। 1 सीट जीतने के लिए 51 विधायकों के वोट की ज़रूरत है और कांग्रेस के पास 107 विधायक हैं, ऐसे में वह आसानी से 2 सीट जीत सकती है। इन 107 में से 6 विधायक बीएसपी के भी हैं, ये सभी विधायक पाला बदल कर पिछले साल कांग्रेस में शामिल हुए थे। कांग्रेस के पास 12 निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन है।
बीजेपी के पास 72 विधायक हैं और उसे छोटी पार्टियों और निर्दलीय मिलाकर 6 विधायकों का समर्थन हासिल है। ऐसे में वह एक सीट आसानी से जीत सकती है लेकिन उसकी नजर कांग्रेस को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायकों, बीएसपी से कांग्रेस में आए विधायकों और कांग्रेस के अंदर नाराज चल रहे कुछ विधायकों द्वारा क्रास वोटिंग किए जाने की संभावना पर टिकी है।
इससे पहले गुजरात में राज्यसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के कई विधायक पार्टी को छोड़कर जा चुके हैं और यहां कांग्रेस ने बीजेपी पर उसके विधायकों को तोड़ने का आरोप लगाया है। कांग्रेस ने गुजरात से लाए गए 19 विधायकों को राजस्थान के एक रिजॉर्ट में रखा हुआ है।
मध्य प्रदेश, कर्नाटक में गिरी सरकार
इस साल मार्च में मध्य प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार विधायकों की बग़ावत के कारण गिर गई थी और वहां बीजेपी ने सरकार बना ली थी। कर्नाटक में पिछले साल कांग्रेस-जेडीएस की सरकार भी मध्य प्रदेश की तर्ज पर ही गिरी थी। वहां कांग्रेस-जेडीएस के विधायकों ने बग़ावत कर इस्तीफ़ा दे दिया था और बीजेपी ने सरकार बना ली थी।
बीजेपी आलाकमान ने गिराई सरकार?
ऑडियो क्लिप में शिवराज कथित रूप से कह रहे हैं, ‘यह आलाकमान ही था, जिसने यह फ़ैसला लिया कि सरकार को गिराया जाना चाहिए, वरना यह सब बर्बाद कर देगी।’ आगे शिवराज कथित रूप से कहते हैं, ‘आप मुझे बताइए, क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया और तुलसी सिलावट के बिना सरकार को गिरा पाना संभव था। कोई और रास्ता नहीं था।’
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