कांग्रेस से अलग हुए पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शुक्रवार को पंजाब चुनाव के लिए बीजेपी के साथ गठबंधन की घोषणा कर दी। हालाँकि अब तक सीटों का बंटवारा नहीं हुआ है। हाल के महीनों में ही पंजाब के मुख्यमंत्री पद से हटने के लिए मजबूर हुए कैप्टन ने बीजेपी के साथ गठबंधन करने की इच्छा पहले ही जता दी थी। यानी कैप्टन का यह फ़ैसला पहले से ही तय था।
कैप्टन ने शुक्रवार को दिल्ली में बीजेपी नेतृत्व के साथ बैठक के बाद यह घोषणा की। उन्होंने बीजेपी के पंजाब प्रभारी व केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को गले लगाते हुए तसवीरें भी ट्वीट कीं।
Met union minister & @BJP4India incharge for Punjab, Shri @gssjodhpur in New Delhi today to chalk out future course of action ahead of the Punjab Vidhan Sabha elections. We have formally announced a seat adjustment with the BJP for the 2022 Punjab Vidhan Sabha elections. pic.twitter.com/cgqAcpW2MW
— Capt.Amarinder Singh (@capt_amarinder) December 17, 2021
गजेंद्र सिंह शेखावत ने एक अलग पोस्ट कर कहा कि इसके लिए सात दौर की बातचीत हो चुकी है। इस बीच कैप्टन ने संवाददाताओं से कहा, 'हमारा गठबंधन पक्का हो गया है। केवल सीटों के बंटवारे की बातचीत चल रही है। हम देखेंगे कि कौन कहां चुनाव लड़ेगा। सीट चयन के लिए हमारा मानदंड विशुद्ध रूप से जीतने की क्षमता है।' उन्होंने कहा कि गठबंधन निश्चित रूप से 101 प्रतिशत चुनाव जीतेगा।
कैप्टन ने नवंबर महीने की शुरुआत में कांग्रेस से इस्तीफ़ा देने की औपचारिकता पूरी करने के साथ ही अपनी नयी पार्टी के नाम की घोषणा कर दी थी। उन्होंने अपनी नयी पार्टी का नाम पंजाब लोक कांग्रेस रखा है।
बता दें कि पंजाब में कुछ महीने के अंदर विधानसभा के चुनाव होने हैं। हाल ही में उन्होंने यह भी कहा था कि अगर किसान आंदोलन का मसला हल हो जाता है तो वह बीजेपी के साथ गठबंधन करेंगे। अब कहा जा रहा है कि तीन विवादास्पद कृषि क़ानूनों को वापस लेने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निर्णय आंशिक रूप से पंजाब के लिए पार्टी की योजनाओं से प्रेरित था। राज्य में पहले अकाली दल बीजेपी का सहयोगी था और तीन कृषि क़ानूनों को लेकर ही वह गठबंधन टूटा था।
अमरिंदर सिंह की नई पार्टी की घोषणा और बीजेपी के साथ गठबंधन को कांग्रेस के लिए सीधी चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। अगर वह कांग्रेस के ख़िलाफ़ अपनी नई पार्टी के उम्मीदवारों को खड़ा करते हैं तो वोट बंट सकता है। इधर कांग्रेस की एक और मुसीबत नजवोत सिंह सिद्धू भी हैं जो चरणजीत सिंह के ख़िलाफ़ लगातार मोर्चा खोले रहे हैं।
राज्य की सत्तारूढ़ कांग्रेस को अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी से भी कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। अकाली दल के सुखबीर बादल ने मायावती की बसपा से गठबंधन किया है।
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